Govardhan Puja: 5 दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत हो गई है। इस बार 29 अक्तूबर को धनतेरस मनाया गया। वहीं दीपावली 31 अक्तूबर और 1 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा का पर्व आता है। गोवर्धन पूजा का पर्व प्रकृति और मानवता के बीच संबंध को बताता है। ये त्योहार दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है।
इस दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा का अलग अलग स्थानों पर अलग महत्व और कथाएं प्रचलित हैं। यहां उत्तर भारत में खासकर मथुरा वृंदावन में ये दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा है तो वहीं पश्चिमी भारत के राज्य गुजरात में ये गुजराती नववर्ष की शुरुआत का दिन माना जाता है। आइए जानते हैं इस बार गोवर्धन पूजा कब है और गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट क्यों कहते हैं, साथ ही गोवर्धन पूजा के दिन किस भगवान की पूजा का विधान है।
कब है गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा का पर्व हिंदू तिथि के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। आमतौर पर ये तिथि दिवाली के अगले दिन पड़ती है, जिसे स्थानीय भाषा में परेवा भी कहते हैं। हालांकि इस बार दिवाली दो दिन मनाई जा रही है। ऐसे में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को हो रही है।
क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा
प्राचीन प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, एक बार देवराज इंद्र ने अहंकार में आकर गोकुल में अत्यधिक वर्षा की। मूसलाधार बारिश से गोकुल वासी परेशान हो गए। तब भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की छोटी उंगली पर उठा लिया और सभी गोकुल वासी बारिश से बचने के लिए पर्वत के नीचे खड़े हो गए।
गोवर्धन पर्वत जो सालों से प्राकृतिक आपदाओं को झेलते हुए गोकुल वासियों की रक्षा कर रहा था, उसने एक बार फिर वर्षा से लोगों को बचाया। इसके अलावा गोवर्धन की हरी भरी घास गाय और बकरियों के लिए भी उपयोगी होती थी। इस तरह श्रीकृष्ण ने बाल लीलाओं के जरिए प्रकृति का हमारे जीवन के लिए महत्व को समझाया।
गोवर्धन पूजा को क्यों कहते हैं अन्नकूट
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने जिस दिन गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुल वासियों की रक्षा की थी, उसे गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए समर्पित कर दिया गया। रक्षा के लिए आभार जताने के लिए हर साल गोकुल वासी गोवर्धन पर्वत को छप्पन भोग लगाकर विधि विधान से पूजा करने लगे। तब से गोवर्धन पूजा के लिए अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है। अन्नकूट को “भोजन का पहाड़” कह सकते हैं। इसमें कई सारी सब्जियों को मिलाकर मिक्स सब्जी, कढ़ी चावल, पूड़ी, रोटी, खिचड़ी, बाजरे का हलवा आदि बनाकर अर्पित किया जाता है।