आज शुरू होगी आरबीआई की बैठक, 3 दिन बाद और महंगे हो सकते हैं लोन और EMI, आम जनता पर पड़ेगा सीधा असर!

दिल्ली: देशभर में महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई है. ऐसे में इसको कम करने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. आज यानी सोमवार को आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक शुरू होगी. यह बैठक 3 दिन चलेगी. बुधवार को रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में बढ़ोतरी या कटौती का ऐलान करेगा. एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार वाली बैठक में गवर्नर शक्तिकांत दास ब्याज दरों में 40 बेसिस प्वाइंट का इजाफा करेंगे.

महंगी हो सकती है EMI
आरबीआई एक बार फिर नीतिगत ब्याज दरों को बढ़ा सकता है. इसका असर ये होगा कि लोन की ईएमआई एक बार और महंगी हो सकती है. अगर आपने पहले से लोन ले रखा होगा तो आपकी ईएमआई बढ़ जाएगी और अगर आप आगे लोन लेने का प्लान बना रहे हैं तब भी आपको ज्यादा ब्याज चुकाना होगा.

बैंक भी बढ़ाते हैं लोन के रेट्स
आपको बता दें आरबीआई की ओर से रेपो रेट्स बढ़ाने के बाद प्राइवेट और सरकारी सभी सेक्टर के बैंक लोन की ब्याज दरों में इजाफा करते हैं, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है.

पिछली बैठक में भी बढ़ाए थे रेट्स
केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने बिना तय कार्यक्रम के हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो दर में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. आरबीआई ने 4 मई को मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक के बाद अचानक रेपो रेट को 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी और कैश रिजर्व रेशियो ( Cash Reserve Ratio) को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4 फीसदी से 4.50 फीसदी कर दिया.

पिछली बार रेट्स बढ़ाने से महंगी हो गई थी EMI
आरबीआई ने 4 मई को रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी का ऐलान किया तब से लगातार सरकारी – निजी बैंकों से लेकर हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां होम लोन से लेकर दूसरे प्रकार के लोन महंगा करती जा रही हैं. तो जो कस्टमर पहले से लोन ले चुके हैं उनकी ईएमआई महंगी होती जा रही है. और ईएमआई महंगे होने का सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं है. जून में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद फिर से लोन लेने वालों को झटका लग सकता है.

8 साल के रिकॉर्ड लेवल पर मुद्रास्फीति
खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में लगातार सातवें महीने बढ़ते हुए आठ साल के उच्चतम स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है. इसकी मुख्य वजह यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते ईंधन सहित जिंस कीमतों में बढ़ोतरी है. थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति 13 महीने से दो अंक में बनी हुई है और अप्रैल में यह 15.08 फीसदी के रिकॉर्ड उच्चस्तर को छू गई.

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