उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में शायद यह मौका है, जब प्रयागराज की मेयर सीट पर कौन पार्टी कितने मतों से जीतेगी? इस सवाल को लेकर देश में उत्सुकता देखी जा रही है. यहीं नहीं राजनीति के गलियारों में यूपी की 17 मेयर सीटों के चुनावों परिणामों को लेकर अभी से अटकलें लगाई जाने लगी है. यह सवाल पूछा जा रहा है कि प्रयागराज में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी के मनमुटाव के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ कैसे सामंजस्य बनाते हुए पार्टी के प्रत्याशी को जिताएंगे?
इस शहर के लोगों के जेहन से माफिया अतीक अहमद के खौफ को सूबे की सरकार कितना निकाल पाई है? इन दोनों ही सवालों का जवाब 13 मई को निकाय चुनावों के नतीजों से पता चलेगा. जिसके चलते लोगों को अब 13 मई का इंतजार है. जनता की इस बेकरारी से सीएम योगी भी अवगत है, इसलिए वह मंगलवार को प्रयागराज में चुनाव करने पहुंच रहे हैं, ताकि केशव और नंदी के मनमुटाव को खत्म करते हुए पार्टी के मेयर प्रत्याशी की जीत को सुनिश्चित किया जा सके.
निकाय चुनाव को लेकर हर दल गंभीर
यूपी का यह निकाय चुनाव योगी सरकार और विपक्ष दोनों के लिए ही बेहद महत्वपूर्ण है. इस चुनाव के बाद अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है. इसलिए निकाय चुनावों को हर राजनीतिक दल बेहद ही गंभीरता से ले रहा है. हर दल ने मेयर प्रत्याशियों का चयन सामाजिक समीकरणों और जाति धर्म के आधार पर किया है. बसपा ने मुस्लिम समाज को अपने साथ जोड़ने के लिए मेयर की 17 सीटों में से 11 पर मुस्लिम प्रत्याशी खड़े किए हैं तो भाजपा ने एक भी मुस्लिम को मेयर की सीट के लिए टिकट नहीं दिया है.
यूपी में मेयर की 17 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशियों की समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से सीधी टक्कर हो रही है. इन तीनों दलों के बीच निकाय चुनाव में हो रही रस्साकशी के बीच एक दूसरे के खिलाफ आरोप और प्रत्यारोप का जो सिलसिला चल रहा है वैसे पहले कभी नहीं देखा गया.
हर दल एक दूसरे पर हावी होने के प्रयास में है और राज्य में जातीय जनगणना से लेकर अतीक अहमद और उसके भाई अरशद की हत्या का मुद्दा ज़ेर-ए-बहस है. मुख्यमंत्री माफिया के खात्मे का दावा कर रहे हैं, जबकि सपा जांच एजेंसियों को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की गोलबंदी करने का प्रयास कर रही है.
ऐसे में माफिया अतीक अहमद के शहर प्रयागराज में उसका खौफ कितना मिट्टी में मिला है? अब यह तो यहां के चुनाव परिणाम से पता चलेगा. लेकिन इस शहर में यह जरूर कहा जा रहा है कि सीएम योगी इस शहर में पार्टी के मेयर प्रत्याशी को पिछली बार से अधिक मतों से जिताने की मंशा रखते हैं.
BJP के मेयर प्रत्याशी को होगा फायदा
इस मंशा की पूर्ति के लिए ही सीएम योगी मंगलवार को चुनाव प्रचार करने पहुंच रहे हैं. प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी यह मत है. रतिभान के अनुसार अतीक अहमद की हत्या के बाद पहली बार सीएम योगी प्रयागराज आ रहे हैं. शहर के लोग सुनना चाहते हैं. ऐसे में सीएम योगी माफिया के खात्मे को लेकर जरूर बोलेंगे और उनकी अपील का असर भी होगा. रतिभान के अनुसार प्रयागराज भाजपा का मजबूत गढ़ कभी नहीं रहा है.नंदी की पत्नी दो बार इस शहर की मेयर रही हैं.
एक बार वह बसपा के टिकट पर और दूसरी बार वह भाजपा के टिकट से चुनाव जीती. प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी भी सपा के समर्थन से इस शहर की मेयर बनी थीं. लेकिन इस बार कैबिनेट मंत्री नंदी की पत्नी को भाजपा ने तीसरी बार मेयर का प्रत्याशी बनाए जाने से मना कर दिया.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के नंदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले रईस शुक्ला को भाजपा में शामिल कर लिया. केशव प्रसाद के इस फैसले के नंदी नाराज हुए और उन्होंने रईस शुक्ला को पार्टी में शामिल करने को अपना अपमान बताया. इन दोनों के मनमुटाव का असर मेयर के चुनाव पर ना पड़े इसीलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां चुनाव प्रचार करने आ रहे हैं. रतिभान का यह मानना है, वह यह भी कहते कि सीएम योगी के इस दौरे का लाभ भाजपा के मेयर प्रत्याशी को होगा.
ब्रांड योगी को मिलेगी मजबूती
फिलहाल जिस तरह से निकाय चुनावों में पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिलों में चुनावी सभाओं को संबोधित करने पहुंच रहे है, उसे देखते हुए लखनऊ के सीनियर जर्नलिस्ट योगेश मिश्र कहते हैं कि सीएम योगी इस निकाय चुनाव में एक नया रिकार्ड बनना चाहते हैं. इसके साथ ही वह ब्रांड योगी को मजबूत बनाने के प्रयास में भी हैं ताकि यूपी में उन्हे कोई चुनौती ना दे सके.
योगेश मिश्र के अनुसार, बीते छह वर्षो के दौरान सीएम योगी भाजपा शासित दूसरे राज्यों के लिए ‘रोल मॉडल’ बन गए हैं. राष्ट्रीय राजनीति के बढ़ते वर्चस्व के मद्देनजर यूपी में निकाय चुनाव के नतीजों बेहद महत्वपूर्ण हो गए है और सीएम योगी अब चाहते हैं कि सूबे की सभी 17 मेयर सीटों पर भाजपा की धमाकेदार जीत हो ताकि ‘ब्रांड योगी’ को मजबूती मिले. इसके साथ ही प्रयागराज में भाजपा की जीत हो ताकि माफिया के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान को मजबूती मिले.
प्रयागराज केशव, नंदी और अतीक का गढ़
प्रयागराज केशव प्रसाद मौर्य, नंद गोपाल नंदी और अतीक तीनों का गढ़ है. अतीक अहमद के साम्राज्य को सीएम योगी ने खत्म किया है और अब वह केशव मौर्य तथा नंद गोपाल नंदी के मनमुटाव को खत्म करने के लिए प्रयागराज पर विशेष ध्यान देते हुए यहां पहुंच रहे हैं. उनकी प्रयागराज में होने वाली चुनावी सभा में केशव मौर्य और नंदी भी मौजूद होंगे.
इस दोनों की मौजूदगी में सीएम योगी माफिया राज के खात्मे को लेकर मंगलवार को फिर हुंकार भरेंगे. उनकी इस हुंकार में अतीक की हत्या के बाद प्रयागराज में उत्पन्न हुई चुनौतियां भी खत्म हो जाएगी. ऐसा योगेश मिश्र का मानना है. वह यह भी कहते है कि इस निकाय चुनाव के जरिए इस बात का भी फैसला हो जाएगा कि राज्य की सियासत में भाजपा के मुकाबले कौन है?