उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव ने फिर साबित कर दिया कि राज्य की जनता को सीएम योगी आदित्यनाथ की स्टाइल पसंद है. राजनीतिक दृष्टि से यह तीसरा मौका है जब योगी ने खुद को साबित किया है.साल 2017 में जब योगी सीएम बने थे तब लोगों ने माना था कि ये पैराशूट सीएम हैं. प्रशासनिक तजुर्बे की कमी है. इतना बड़ा राज्य कैसे चलाएंगे?
ये बातें वही लोग कर रहे थे जिन्होंने सांसद के रूप में उन्हें काम करते हुए नहीं देखा था. गोरखनाथ मंदिर के अनेक प्रकल्पों को चलाते हुए नहीं देखा है. सीएम के रूप में उनकी कामयाबी में बड़ा योगदान उनके पूर्व में किए गए कार्यों का है.
योगी के नाम और काम पर जीत
सीएम बने दो साल ही हुए थे कि तभी आम चुनाव आ गया. योगी आदित्यनाथ पर एक बड़ी जिम्मेदारी आ गयी. अपने दो वर्ष के काम, केंद्र सरकार के पांच वर्ष के काम को लेकर वे जनता के बीच गए. बिना लाग-लपेट अपनी बात रखी. बदले में यूपी की जनता ने भी उन पर खूब प्यार लुटाया. भाजपा को यूपी से बम्पर जीत मिली.
योगी की सबसे बड़ी परीक्षा साल 2022 का विधान चुनाव में हुई, जिसे उन्होंने भारी अंकों से पास किया. इस चुनाव के बाद किसी के मन में कोई शक नहीं रह गया. पार्टी को भी भरोसा हो गया तभी वे दोबारा सीएम बने और उत्तर प्रदेश के इतिहास में तीन दशक का रिकार्ड टूट गया.
2024 के चुनाव की जमीन की तैयार
योगी के नेतृत्व में हुए दोनों बड़े चुनाव में पार्टी ने सामान्य जीत नहीं दर्ज की. भारी जीत मिली. निश्चित ही कोई चुनाव एक व्यक्ति नहीं, टीम लड़ती है. इन दोनों चुनावों में भी भाजपा की पूरी टीम लड़ी लेकिन यूपी की लीडरशिप योगी के हाथों में थी. और वे अपने दायरे में रहकर बेहद मजबूत बैटिंग करते रहे और मैच जीतने में सफल रहे.
यूपी निकाय चुनाव की घोषणा होते ही सीएम योगी ने तय किया था कि इस चुनाव को लोकसभा चुनाव 2024 के सेमीफाइनल के रूप में देखा जाएगा. पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी हो गयी. सभी 17 मेयर सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ भाजपा आगे बढ़ी और जो नतीजे/रुझान आ रहे हैं, वह यह साबित करते हैं कि योगी का काम करने का तरीका जनता को पसंद है. इस तरह की जीत किसी भी दल को तभी मिलती है, जब सभी जाति-धर्म के लोग वोट करते हैं.
योगी ने जीत के लिए की लगातार मेहनत
केंद्र एवं राज्य में सत्तारूढ़ एक मजबूत पार्टी का नेता और राज्य का सीएम होने के बावजूद निकाय चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने एक-एक दिन में चार-चार जनसभाएं की. उनके दोनों डिप्टी सीएम एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लगातार बिना थके, बिना रुके जनसभाएं, जनसम्पर्क, बैठकें करते रहे. नतीजा, सबके सामने है.
योगी ने जो कहा, उसे करके दिखाया. वे मन में कुछ नहीं रखते. जो कुछ है, उसे जुबां पर लाते हैं. जब वे लोकसभा में एक बच्चे की तरह रोते हुए खुद पर हुए जुल्म को बयां कर रहे थे तो उनका प्लान नहीं था. बारी आई तो सच जुबां पर आ गया. प्रयागराज में एमएलए राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल की हत्या के समय विधान सभा चल रही थी. सदन में हंगामा हुआ. सीएम उठे और बोले कि जिस किसी ने यह हत्या की होगी, उसे मिट्टी में मिला दिया जाएगा. यह वीडियो वर्षों तक वायरल होता रहेगा.
अतीक-अशरफ कांड पर लिया सख्त एक्शन
सच सबके सामने है. जिस दिन रात में अतीक-अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या की सूचना मिली, सीएम ने सभी जिम्मेदारों को तलब कर लिया. आधी रात तक न्यायिक आयोग बनाने से लेकर एसआईटी गठन तक की कार्रवाई कर डाली. एक सीएम के रूप में वे चाहते तो फोन पर बात करके सो जाते.
निकाय चुनाव की जन सभाओं में भी वे केवल केंद्र, राज्य की योजनाओं के अलावा दंगा मुक्त राज्य, कानून-व्यवस्था तोड़ने वालों पर की गयी कार्रवाई की बातें की. संक्षिप्त सम्बोधन में भी वे यही कहते हुए अगले कार्यक्रम के लिए निकल जाते. इस चुनाव को भी उन्होंने उसी गंभीरता से लड़ा, जैसे लोकसभा-विधान सभा में लड़ा.
योगी हैं बेहतरीन टास्क मास्टर
वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा कहते हैं कि योगी जी को लोग इसलिए पसंद करते हैं कि वे जो कहते हैं, वह करके दिखाते हैं. वे बेहतरीन टास्क मास्टर हैं. वे कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों से लेकर अफसरों तक से काम लेना बखूबी जानते हैं. वे आमनेताओं की तरह व्यवहार नहीं करते. अगर कहीं कोई वायदा कर लिया तो उसे पूरा होने तक फॉलो भी करते हैं.
उससे भी महत्वपूर्ण बात है अपराधियों के खिलाफ सख्ती. जिस मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद के नाम से लोग थर-थर कांपते थे, आज सीन बदला हुआ है. इतने ताकतवर माफिया भी अदालतों से जान की रक्षा करने की गुहार लगा रहे हैं.