राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव पर एक बार फिर सीबीआई का शिकंजा कसता दिखाई दे रहा है. रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले को लेकर लालू और उनके परिवार के सदस्यों के 17 ठिकानों पर छापेमारी जारी है. इस मामले में सीबीआई ने लालू यादव को लेकर कई खुलासे किए. सीबीआई ने बताया कि इस मामले की आरंभिक जांच 2021 में शुरू की गई थी. इस दौरान पाया गया कि जिन लोगों को नियम और कानून ताक पर रखकर नौकरी दी गई थी उस नौकरी के बदले में नौकरी पाने वाले परिजनों ने इस नौकरी के बदले लालू यादव के परिजनों को जमीन दी थी.
इस मामले में सीबीआई ने लालू यादव और उनके परिवार के कुल 16 लोगों को आरोपी बनाया है. इन आरोपियों में लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव के अलावा राजकुमार सिंह, मिथिलेश कुमार, अजय कुमार, संजय राय, धर्मेंद्र राय, विकास कुमार, पिंटू कुमार, दिल चंद्र कुमार, प्रेमचंद कुमार, लालचंद कुमार आदि शामिल हैं. यह मुकदमा आपराधिक षड्यंत्र के साथ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया है.
किस-किस को दी गईं थी जमीनें ?
इस मामले में रेलवे में ग्रुप डी की भर्ती किए जाने का आरोप है. सीबीआई का कहना है कि उसने इस मामले में पहली एफआईआर 23 सितंबर 2021 को दर्ज की थी. यह भी आरोप है कि जिन लोगों की भर्ती की गई उनके परिवार के लोगों ने अपनी जमीन लालू प्रसाद यादव के परिजन और एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को दी.
सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, कृष्ण देव राय महुआ बाग पटना के रहने वाले हैं. उन्होंने अपनी जमीन 6 फरवरी 2008 को राबड़ी देवी के नाम पर कर दी थी क्योंकि उनके परिवार के तीनों लोगों को रेलवे में नौकरी मिली थी. इसी तरह संजय राय, धर्मेंद्र राय और रविंद्र राय जो महुआ बाग पटना के रहने वाले थे ने भी अपनी जमीन राबड़ी देवी के नाम कर दी थी. इसके बदले उन लोगों की नौकरी रेलवे में लगी थी. इसी तरह किरण देवी ने अपनी 1 एकड़ से ज्यादा जमीन लालू यादव की बेटी मीसा के नाम पर की थी और उनके परिवार के एक व्यक्ति की रेलवे में साल 2008 में नौकरी लगी थी.
किसके नाम पर बनी थी सेलडीड ?
सीबीआई के मुताबिक इन जमीनों के हस्तांतरण में तीन सेल डीड बनाई गईं थी. पहली सेल डीड राबड़ी देवी के नाम पर, दूसरी मीशा भारती के नाम पर और एक सेल डीड एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर बनाई गई थी. इस कंपनी राबड़ी देवी मेजर शेयर होल्डर थी. वहीं दो गिफ्ट डीड हेमा यादव पुत्री लालू यादव के नाम पर बनवाई गयी थी.
आरोप के मुताबिक कुल 12 लोगों को रेलवे के छह विभिन्न जॉन्स में साल 2004 से 2009 के बीच नौकरी दी गई और सात मामले भूमि ट्रांसफर के आए. सीबीआई को जांच के दौरान यह पता चला कि पटना में 105292 स्क्वायर फीट की जमीन लालू यादव के परिजनों के नाम पर आई इन सभी मामलों में नगद में पैसा दिखाया गया. जांच में यह भी पता चला है कि यह जमीन लालू यादव के परिवार ने सीधे इन लोगों से खरीदी थी जोकि सर्कल रेट से मेल नहीं खाती थी. रेलवे में जिन लोगों की भर्ती की गई उस भर्ती के बाबत भी कोई भी पब्लिक नोटिस या एडवर्टाइजमेंट नहीं निकाला गया.