“अलविदा जेटली जी” वो अहम ऐतिहासिक फैसले जिनके लिए जेटली हमेशा याद आते रहेंगे

भाजपा के कद्दावर नेता, बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं है। लेकिन मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नोटबंदी, जीएसटी समेत कई ऐतिहासिक फैसले लेने में अहम भूमिका निभाने वाले जेटली हमेशा याद आते रहेंगे।

वित्त मंत्री रहते हुए जेटली ने देश की अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार, कालाधन, नोटबंदी, जीएसटी, डिजिटल लेनदेन, बैंकों का विलय जैसे कई बड़े फैसले लिए थे। नोटबंदी और जीएसटी पर सरकार की आलोचना करने वाले को उन्होंने समय-समय पर पुरजोर तरीके से जवाब भी दिया। उनके तर्क के कायल सिर्फ सत्ता पक्ष के ही नहीं बल्कि विपक्षी पार्टी के नेता भी थे। पेशे से सफल वकील अरुण जेटली से जुड़ी कुछ प्रमुख उपलब्धियों के बारे में आप भी जानिए...

नोटबंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का ऐलान रात आठ बजे किया था। एक झटके में कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 1000 और 500 रुपये के नोट का चलन रोक दिया था। कहते हैं कि नोटबंदी की रणनीति बनाने में वित्त मंत्री अरुण जेटली की बड़ी भूमिका थी। अरुण जेटली ने नोटबंदी का पुरजोर बचाव करते हुए कहा था कि इससे करदाताओं की संख्या में उछाल आया और भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। 

दिवालिया कानून : बैंकों का कर्ज न चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के अंदर बकाए की वसूली के लिए अरुण जेटली ने दिवालिया कानून (इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड( लेकर आए। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद 28 मई 2016 को यह बिल लागू हुआ था। इस बिल के लागू होने के बाद बैंकों और अन्य लेनदारों को दिवालिया कंपनियों से वसूली में मदद मिल रही है। इससे बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) में बड़ी कमी आई है। 

मुद्रा योजना: केंद्र सरकार ने छोटे उद्यम शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना अप्रैल 2015 में शुरू की थी। इसके तहत लोगों को अपना उद्यम (कारोबार) शुरू करने के लिए छोटी रकम का लोन दिया जाता है। इस योजना को सफल बनाने के लिए वित्त मंत्री रहते हुए अरुण जेटली ने काफी काम किया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश की जनता को स्वरोजगार देना है। 

बैंकों का एकीकरण: भारतीय बैंकों को वैश्विक स्तर के बैंकों जैसा बनाने के लिए सरकारी बैंकों का एकीकरण का काम अरुण जेटली की अगुवाई में ही शुरू किया गया था। जेटली ने ही वैसे तो तमाम कमजोर बैंकों को विलय कर एक मजबूत बैंक बनाने की जरूरत बताई थी। स्टेट बैंक में उसके पांच असोसिएट बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हो चाहे देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय, इन फैसलों में जेटली की ही अहम भूमिका थी। 

जीएसटी: भारतीय इतिहास में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) अबतक का सबसे बड़ा बदलाव माना जाता है। पूरे देश में 1 जुलाई 2017 को आधी रात से जीएसटी लागू हो गया था।। इस दिन से देश भर में चल रहे 17 टैक्स और 26 सेस खत्म हो गए थे। जीएसटी काउंसिल ने देश भर में पांच स्लैब लगाए थे, जिनके हिसाब से ही लोगों को टैक्स देना शुरू किया था। देश में जीएसटी के रूप में ‘एक देश, एक कर’ देने में अरुण जेटली की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

एनपीए की सफाई: मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बतौर वित्त मंत्री जेटली ने फंसे कर्ज (एनपीए) की बढ़ती समस्या से निपटने में बहुत हद तक कामयाबी हासिल की। उन्हीं की देखरेख में बैंकिंग सेक्टर में एनपीए में तेजी से कमी आई। इसका फायदा यह हुआ कि सार्वजनिक क्षेत्र के वे बैंक जो घाटे में चल रहे थे, वे भी धीरे-धीरे लाभ में आने लगे। 

विनिवेश पर फैसला: आर्थिक मसलों पर उनकी गहरी समझ को देखते हुए ही 1999 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विनिवेश विभाग का गठन किया तो इसकी जिम्मेदारी जेटली को दी। जेटली के कामों का ही नतीजा था कि वाजपेयी ने 2001 में अलग से विनिवेश मंत्रालय का गठन किया था। 

 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के जरिए देश में निवेश बढ़ाने में अरुण जेटली ने अहम भूमिका निभाई। उन्हीं के प्रयास से बीमा, रक्षा, विमानन जैसे क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोला गया। इसके साथ रिटेल क्षेत्र में भी एफडीआई लाने में भी जेटली की अहम भूमिका रही है। इन कदमों से एफडीआई में उल्लेखनीय इजाफा देखने को मिला। 

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी का गठन : मौद्रिक नीति बनाने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के उद्देश्य से 2016 में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीएसी) का गठन भी जेटली के महत्वपूर्ण आर्थिक फैसलों में शामिल थे। आरबीआई गवर्नर की अगुआई वाली यह कमिटी ही अब ब्याज दरों को तय करती है। कमिटी में 6 सदस्य होते हैं जिनमें आरबीआई से 3 और इतने ही सरकार की तरफ से नामित सदस्य होते हैं। 

महंगाई पर नियंत्रण: मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बतौर वित्त मंत्री जेटली के नाम महंगाई को नियंत्रण में रखने की भी एक बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में भी जेटली ने अहम भूमिका निभाई। 2014 में भारत का राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत था, जो अप्रैल 2019 में घटकर 3.4 प्रतिशत पर आ गया। इसी तरह 2014 में खुदरा महंगाई 9.5 था जो अप्रैल 2019 में 2.92 दर्ज किया गया। 

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