जेल में नहीं तो कहां प्रेग्नेंट हुई 196 महिला कैदी, सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर मिला ये जवाब

पश्चिम बंगाल की जेलों में पैदा हो रहे बच्चों के सवाल पर न्याय मित्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है. इस मामले में न्याय मित्र के रूप में काम कर रहे सीनियर वकील गौरव अग्रवाल ने साफ तौर पर कहा कि जेल के अंदर कोई महिला कैदी प्रेग्नेंट नहीं हो रहीं. बल्कि इनकी प्रेग्नेंसी या तो जेल जाने से पहले की है या फिर पैरोल के दौरान ये प्रेग्नेंट हुई हैं. पांच पन्नों की रिपोर्ट पेश करते हुए एडवोकेट अग्रवाल ने कहा कि प्रेग्नेंट कैदियों को जेलों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा के साथ उनकी डाइट का इंतजाम किया गया है.

बता दें कि पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद महिला कैदियों की डिलीवरी के मामले लगातार मीडिया के जरिए सामने आने के बाद बीते नौ फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजय कुमार और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने वकील गौरव अग्रवाल से रिपोर्ट पेश करने को कहा था. उन्होंने अब अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दी है. इसमें बताया है कि जेल के अंदर महिला और पुरूष कैदियों के संबंध बनाने की कोई संभावना नहीं है. ऐसे में जेल के अंदर प्रेग्नेंट होने का कोई चांस नहीं है.

पांच पन्नों की रिपोर्ट पेश
उन्होंने पांच पन्नों की रिपोर्ट में बताया है कि कई बार गिरफ्तारी के दौरान महिला कैदी पहले से प्रेग्नेंट होती हैं. इसके अलावा जेल में रहने के दौरान महिला कैदियों को पैरोल पर भी छोड़ा जाता है. ज्यादातर महिला कैदियों के प्रेग्नेंट होने के मामले पैरोल के दौरान के ही सामने आए हैं. एडवोकेट अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने राज्य के सभी जेलों से फोन और इमेल के जरिए डेटा एकत्र किया है. इस डेटा के मुताबिक 2018 में बंगाल की जेलों में बंद 196 महिला कैदियों ने बच्चों को जन्म दिया था.

2018 में सामने आया था मामला
इस मामले को संज्ञान में लेते हुए शीर्ष अदालत ने इन महिला कैदियों को अलग केयर होम में रखने का सुझाव दिया था. बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील तापस कुमार भांजा को 2018 के स्वत: संज्ञान प्रस्ताव में शीर्ष अदालत ने न्याय मित्र नियुक्त किया था. इसके बाद वकील तापस कुमार ने कोलकाता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष एक सुझाव नोट पेश किया था. उन्होंने दावा किया था कि बंगाल की कई जेलों में बंद महिला कैदी प्रेग्नेंट हुई हैं. इसके बाद मामला अपराधिक खंडपीठ में ट्रांसफर कर दिया गया है.

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