दिल्ली में विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी का मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में खूब दबदबा था. मुस्लिम समुदाय ने AAP को एकतरफा वोट किया था. लेकिन इस बार एमसीडी के चुनाव में वह सरगर्मी नहीं दिखी. मतदान के वक्त यह वोट बैंक आम आदमी पार्टी की झोली से सरकता नजर आया. बड़ी संख्या में इस समुदाय के लोग अरविंद केजरीवाल को छोड़ कर कांग्रेस की ओर झुकते नजर आए. यह स्थिति उस समय बनी जब एमसीडी चुनाव में कांग्रेस पूरी दमदारी के साथ मैदान में भी नहीं आई थी.
ऐसे हालात में बिना जोरदार प्रचार किए ही कांग्रेस को मुस्लिम वोट बैंक का लाभ मिलता नजर आ रहा है. दरअसल इसके पीछे के घटनाक्रम को जिम्मेदार बताया जा रहा है. मुस्लिम समाज के कुछ प्रमुख लोगों के मुताबिक मुस्लिम समाज तो अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पक्ष में एकतरफा मतदान के पक्ष में था, लेकिन पिछले दिनों दिल्ली में दंगा हुआ तो समाज के लोगों का बचाव करने के बजाय अरविंद केजरीवाल ने चुप्पी साध ली. उनकी इस चुप्पी ने दिल्ली के लोगों खासतौर मुस्लिम समुदाय के लोगों को निराश करने वाली थी. इसका असर एमसीडी के चुनाव में देखने को मिला है. यदि यही स्थिति रही तो आगामी विधानसभा चुनाव में भी इसका असर दिखेगा.
मरकज मामले में AAP के रहे विरोधी तेवर
समाज के लोगों की माने तो कारोना काल के दौरान जब बीजेपी के लोग मुस्लिम समुदाय को कटघरे में खड़ा कर रहे थे, मरकज का हवाला देकर पूरे समाज को शक की निगाह से देखा जा रहा था, दावा किया जा रहा था कि इस समाज की वजह से ही देश में महामारी आई तो अरविंद केजरीवाल ने बचाव नहीं किया. यहां तक कि वह वास्तविक स्थिति को सामने रखने के बजाय विरोध में दिखे और नियमित ब्रीफिंग भी करते रहे. इसके चलते मुस्लिम समुदाय का आम आदमी पार्टी से मोह भंग हुआ है.
AAP गिनाने का चला अभियान
एमसीडी के चुनाव में समाज के कुछ लोगों ने आम आदमी पार्टी की खामियों को गिनाने का अभियान चलाया. इस अभियान के तहत मुस्लिमों के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को खड़ा करते हुए लोगों ने वाट्सऐप पर खूब प्रचार किया. जमीन पर इस अभियान का असर भी दिखा. खासतौर पर ओखला विधानसभा जहां इस समय आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान है, यहां भी आम आदमी पार्टी बहुत कमजोर नजर आई. इसी इलाके में जाकिर नगर, बाटला हाउस, शाहीनबाग, अबुल फजल नगर जैसे मुस्लिम बाहुल्य इलाके हैं.