दिल्ली: दिल्ली में वाहनों को चालान कटने के बाद लोगों को ऑनलाइन चालान भरने में काफी समस्या हो रही है. इसकी लगातार शिकायतों परिवहन विभाग को मिल भी पही हैं, लेकिन लोगों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने चालान काटने के लिए दिल्ली में जगह-जगह कैमरे लगा दिए हैं. कैमरों की मदद से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों को ऑनलाइन चालान भेज दिए जाते हैं. लेकिन चालान जमा कराने का सिस्टम इतना लचर है कि आए दिन लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. कभी वेबसाइट हैग रहती है, तो कभी चालान की डीटेल्स लोग देख नहीं पाते. इस मामले में सबसे ज्यादा शिकायतें ओटीपी को लेकर आ रही हैं.
दिनभर हैंग रही वेबसाइट
एनबीटी की खबर के मुताबिक चालान की डीटेल्स देखने और चालान जमा कराने के दौरान गाड़ी के मालिक के मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आता है. उसे दर्ज करने के बाद ही चालान जमा कराने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन कुछ दिनों से ओटीपी मिलने में दिक्कत हो रही है. जिसके कारण लोग समय पर चालान जमा नहीं करा पा रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को तो दिनभर वेबसाइट हैंग रही और ओटीपी भी जनरेट ही नहीं हुए. लोग कई घंटों तक कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप पर माथापच्ची करते रहे, लेकिन ना तो ऐप पर और ना ही वेबसाइट के जरिए ओटीपी जनरेट हो पाया. इस वजह से लोग चालान जमा ही नहीं करा पाए.
लोगों को मदद नहीं मिल पा रही
बता दें कि ओटीपी जनरेट ना होने या जनरेट होने के बाद भी गाड़ी के मालिक के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर डिलिवर ना होने की शिकायतें पिछले कुछ दिनों से काफी बढ़ गई हैं. इसे लेकर लोग ट्रैफिक पुलिस की हेल्पलाइन पर भी कॉल कर रहे हैं, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. लोगों से कहा जा रहा है कि वे कुछ देर बाद या अगले दिन प्रयास करें. वहीं इसके अलावा पेमेंट गेटवे में भी काफी दिक्कतें आ रही हैं. पिछले कुछ दिनों के दौरान कई लोग ऐसी शिकायतें कर चुके हैं कि उनके अकाउंट से पैसे कटने के बावजूद चालान की राशि जमा नहीं हो पाई.
तकनीकी दिक्कतें आती रहती हैं- पुलिस
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी दिक्कतें बीच-बीच में आती रहती हैं. उन्हें जल्दी ठीक करने के लिए उचित प्लैटफॉर्म पर तुरंत सूचना देकर संबंधित अधिकारियों से बातचीत भी की जाती है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि पेमेंट गेटवे और सर्वर का कंट्रोल दूसरे संस्थानों या कंपनियों के हाथों में होने की वजह से ट्रैफिक पुलिस भी इस मामले में इंतजार करने के सिवाय और ज्यादा कुछ कर नहीं पाती है.