दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण अपने भयावह स्तर तक पहुंच गया है. इसका असर अप्रत्यक्ष रूप से सभी अस्पतालों में दिख रहा है. सरकारी अस्पतालों की सामान्य ओपीडी में 30 फीसदी तक इजाफा हो चुका है. यह सभी मरीज गले में खरांस या सर्दी जुकाम की वजह से आ रहे हैं. हालांकि डॉक्टरों के मुताबिक इसकी वजह प्रदूषण है. खासतौर पर सुबह शाम टहलने घूमने या नौकरी के लिए घरों से निकलने वाले लोग ज्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं. इनमें आंखों में जलन व सांसों में जकड़न जैसी कॉमन समस्या है.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का कहर एक सप्ताह से लगातार बरप रहा है. वातावरण को घने स्मोक ने अपनी चपेट में ले लिया है. शनिवार की सुबह देश की राजधानी दिल्ली व एनसीआर में खराब एयर क्वालिटी की वजह से चहुं ओर धुंध छायी रही. मौसम की सबसे खराब तस्वीरें आनंद विहार से आई हैं. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 431 (गंभीर) श्रेणी में है. पूसा रोड पर AQI 484 पहुंच चुका है, लोधी रोड़ 417 , दिल्ली विश्वविद्यालय 563 , एयरपोर्ट 489 , मथुरा रोड 471 , IIt 407 रहा.
नोएडा में AQI 529 तो गुरुग्राम में 478
दिल्ली एनसीआर की हवा लगातार खराब बनी हुई है. शनिवार की सुबह नोएडा में एक्यूआई 529 दर्ज किया गया है. यह प्रदूषण की गणित में बहुत ही खतरनाक स्तर है. वहीं गुरुग्राम में 478 और धीरपुर के पास 534 दर्ज किया गया. वहीं दिल्ली में औसत एक्यूआई 431 दर्ज हुई है. प्रदूषण विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पूरे दिल्ली एनसीआर में कोई भी ऐसी जगह नहीं है, जहां हवा की गुणवत्ता बेहद खराब ना हो.
अस्पतालों में 30 फीसदी बढ़े मरीज
बीते साल की तरह एक बार फिर दिल्ली एनसीआर में रहने वालों को आंखों में जलन और सांसों की जकड़न की दिक्कत शुरू हो गई है. खासतौर पर इस समस्या से बच्चे और बुजुर्ग तो शिकार हो ही रहे हैं, विभिन्न कंपनियों में मार्निंग और इवनिंग शिफ्ट में काम करने वाले लोग कर्मचारी भी इस समस्या से परेशान हैं. नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद के अलावा दिल्ली की विभिन्न अस्पतालों में मरीजों की तादात तेजी से बढ़ी है. कई अस्पतालों में तो हालात ऐसे बन गए हैं कि अतरिक्त डॉक्टरों को बैठाकर लोगों की जांच कराई जा रही है.
प्रदूषण की वजह से सांस लेने में तकलीफ
अलग अलग शहरों में मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों की माने तो प्रदूषण बढ़ने की वजह से लोगों में सांस लेने में तकलीफ होने लगी है. इसके चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ गई है. यही स्थिति रही तो यह संख्या 60 फीसदी या इससे भी अधिक हो सकती है. बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी है. बुजुर्गों की आंखों में सूखापन की शिकायत आ रही है तो बच्चों में एलर्जी की वजह से आंखों में लाली, पानी आना, चुभन जैसी शिकायतें आ रही हैं. एम्स दिल्ली में नेत्र विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. नम्रता शर्मा के मुताबिक इसकी वजह प्रदूषण है.
क्रॉनिक डिजीज के रोगियों की मुश्किल बढ़ी
ताजा हालात की वजह से पहले से ही दमा, अस्थमा व फेफड़ों से संबंधित अन्य समस्याओं से ग्रसित लोगों की दिक्कतें काफी बढ़ गई है. ऐसे मरीजों की संख्या इन दिनों तेजी से बढ़ी है. गले में खराश कॉमन शिकायत है. इसके अलावा सांस लेने पर छाती में भारीपन, जुकाम-खांसी, बदन और सर दर्द के मामले भी बढ़े हैं. ऐसे में डॉक्टर मरीजों को बिना बड़ी वजह के घर से निकलने से परहेज करने की सलाह दे रहे हैं. कई ऐसे लोग भी अस्पताल आए हैं जिन्हें अस्थमा जैसी बीमारियों के लक्षण दिखे. जबकि उन्हें पहले कभी यह बीमारी थी ही नहीं.
प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में ग्रैप 4 लागू
दि ल्ली-NCR में हवा खतरनाक स्तर तक प्रदूषण हो चुकी है. दिल्ली में 50 स्थानों पर AQI का डेटा रिकार्ड किया जा रहा है. इनमें से 45 स्थानों पर हवा का स्तर लगातार खतरनाक रिकार्ड किया गया है. हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के खिलाफ युद्ध शुरू किया है. इसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने कुछ अहम फैसले लिए है. इसमें पहला फैसला तो यह है कि दिल्ली सरका र ने अपने 50 प्रतिशत कर्मचारियों का वर्क फ्रॉम होम कर दिया है. इसी के साथ निजी संस्थानों को भी आफिस में 50 फीसदी क्षमता के साथ काम करने तथा बाकी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होने देने का आग्रह किया है. इसी क्रम में दिल्ली में सभी तरह की डीजल गाड़ियों और BS-6 के नीचे की कारों पर रोक लगा दी गई है. दिल्ली एनसीआर में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को बंद करने के भी आदेश दिए गए हैं.