New Delhi: यूपी के प्रयागराज में 15 अप्रैल 2023 की रात माफिया डॉन और उम्रकैद के सजायाफ्ता मुजरिम, अतीक अहमद (Atique Ahmed Murder) को कत्ल कर डाले जाने से काफी कुछ बदल चुका है. प्रयागराज में खाली हुई अतीक की गद्दी को उनके पीछे कौन और कैसे संभालेगा? अपने पीछे छोड़े गए पांच हजार करोड़ के एंपायर को तलाश कर उस पर कब्जा जमाने की चाहत में, अतीक की विधवा शाइस्ता परवीन दिन-रात इधर से उधर भटक कर अभी तक फरारी ही काट रही है. ताकि वो पति, देवर और जवान बेटे को खोने के बाद तो कम से कम पांच हजार करोड़ की काली कमाई से अर्जित उस चल-अचल संपप्ति तो बचा सके, जिसके चलते अतीक मिट्टी में मिला डाला गया.
इन्हीं तमाम खबरों के भीतर से एक और इनसाइड स्टोरी साबरमती जेल से निकल कर आ रही है. वह यह कि प्रयागराज कोर्ट का सजायफ्ता मुजरिम अतीक अहमद, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैद करके तो अहमदाबाद की साबरमती जेल (गुजरात) में रखा गया था. ऐसे में अब जब अतीक साबरमती जेल से प्रयागराज कोर्ट के वारंट पर, वहां से कानूनन रवाना किया जा चुका था तो फिर, साबरमती जेल में उसकी कानूनन आमद (वापिसी) भी दर्ज होनी जरूरी थी. अतीक अहमद को घेरकर मार डाले जाने के बाद यह, अब कभी संभव नहीं हो सकेगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर अब साबरमती जेल आगे क्या करेगी?
इस बारे में टीवी9 ने बात की 1998 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी और साल 1986 में, प्रयागराज स्थित नैनी जेल के अपर जेल अधीक्षक रह चुके आर के चतुर्वेदी से. आरके चतुर्वेदी के मुताबिक, “जब कोर्ट के वारंट पर सजा के लिए निकाले गए कैदी या सजायाफ्ता मुजरिम के साथ, कोई ऐसी अनहोनी घट जाती है जैसा कि अतीक अहमद के साथ घटना घटी. तो वो पुलिस टीम जिसने कोर्ट के आदेश पर मुजरिम या मुलजिम को अपनी हिरासत में लिया हो. और उस मुजरिम की जान चली जाती है. तो अतीक के मामले में साबरमती जेल में अतीक की कानूनन रवानगी साबरमती के जेल रजिस्टर में दर्ज की गई होगी.
अतीक की गद्दी को कौन और कैसे संभालेगा?
जैसे ही उचित कानूनी माध्यम से साबरमती जेल को लिखित में सूचना मिली होगी या मिलेगी कि अतीक अहमद का कत्ल हो चुका है. और अब वो कभी वापिस जेल नहीं लौटेगा. संबंधित जेल अधिकारी द्वारा उसी लिखित सूचना का विवरण रजिस्टर में दर्ज करके, मुलजिम या मुजरिम का नाम रवानगी-आमद रजिस्टर में काट दिया जाता है. ऐसा करते वक्त जेल अफसर को रजिस्टर के कॉलम में साफ-साफ लिखना होता है कि, जेल के आमद-रवानगी रजिस्टर से मुलजिम या मुजरिम का नाम क्यों काटना पड़ा? किसके आदेश पर काटना पड़ा? आदि-आदि.”
अतीक अहमद की कर दी थी हत्या
उल्लेखनीय है कि साल 2019 के जून महीने से अतीक अहमद साबरमती जेल में बंद था. 11 अप्रैल 2023 को उसे डॉक्टर की ‘ओके’ रिपोर्ट के आधार पर साबरमती जेल से, यूपी पुलिस के हवाले किया गया था. यह तमाम प्रक्रिया कानून के दायरे में की गई थी. उसके बाद 15 अप्रैल 2023 को रात करीब साढ़े दस बजे अतीक अहमद तीन हमलावरों द्वारा प्रयागराज में गोलियों से भूनकर मार डाला गया. इन अचानक से बदले हालातों में सवाल यह पैदा होना लाजिमी है कि अब, साबरमती जेल और यूपी पुलिस कैसे चीजों को कानूनी रूप से आगे बढ़ाएगी? पूछने पर नैनी जेल के पूर्व अपर जेल अधीक्षक आर के चतुर्वेदी बोले, “जाहिर सी बात है कि जब कोई मुलजिम करीब 46 महीने तक जिस साबरमती जेल में बंद रहा होगा. वहां की बैरक या सेल में उसका थोड़ा बहुत सामान, कपड़े भी पड़े होंगे.
इस अधिकारी से अतीक अहमद भी डरता था ?
इन सबको लेने के लिए अतीक का कोई भी कानूनी वारिस अतीक के डैथ सर्टिफिकेट के साथ साबरमती जेल जाएगा. वहां वो अतीक के जेल बैरक या सेल में बंद पड़े सामान को लेने का दावा कर सकता है. और इसमें जेल प्रशासन को भी कोई समस्या नहीं होती है. हालांकि साबरमती जेल प्रशासन को अतीक के कत्ल की अधिकृत सूचना उस यूपी पुलिस की तरफ से भी दी जानी चाहिए, जिसकी वो रिमांड पर था. इस प्रक्रिया के बाद सामान लौटाकर, और जेल रजिस्टर में अतीक अहमद का कत्ल हो जाने के चलते, उसकी जेल में आमद न हो पाने का ब्योरा दर्ज करके, यह तमाम कागजात जेल प्रशासन द्वारा, उस संबंधित कोर्ट (प्रयागराज कोर्ट) को भेजे जाएंगे, कत्ल के दौरान वो (अतीक अहमद)जिस कोर्ट का सजायाफ्ता मुजरिम था.”