दिल्ली सरकार में कद्दावर मंत्री कैलाश गहलोत के इस्तीफे के बाद आतिशी कैबिनेट में कुल 4 मंत्री रह गए हैं. कैलाश गहलोत के इस्तीफे के बाद सवाल उठ रहा है कि उनकी जगह मंत्रिमंडल में कौन शामिल होगा? एक चर्चा कैबिनेट विस्तार नहीं होने की भी है. दिल्ली में अब से 2 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में गहलोत के इस्तीफे के बाद आतिशी कैबिनेट को लेकर 3 राजनीतिक परिदृश्य बन रहे हैं. इस स्टोरी में इन्हीं तीनों सिनेरियो को समझिए…
पहला सिनेरियो- चुनाव बाद ही विस्तार संभव
दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने में अब 2 महीने से भी कम का वक्त बचा है. जनवरी की शुरुआत तक आचार संहिता लगने की चर्चा है. ऐसे में अब किसी को नए मंत्री बनाए जाने की संभावनाएं कम ही है. आम आदमी पहले से ही चुनावी मोड में है. पार्टी ने आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी है कि चुनाव बाद अरविंद केजरीवाल नए मुख्यमंत्री होंगे. ऐसे में नए कैबिनेट का विस्तार चुनाव बाद ही होने की चर्चा है. हालांकि, कैबिनेट विस्तार के पीछे एक तर्क समीकरण साधने को लेकर दिया जा रहा है. ऐसे में जानिए कैबिनेट विस्तार अगर होता है तो किसे मौका मिल सकता है?
दूसरा सिनेरियो- कैबिनेट में अभी 2 पद रिक्त है
दिल्ली में मुख्यमंत्री समेत कुल 7 मंत्री बनाए जा सकते हैं. कैलाश गहलोत के इस्तीफा के बाद अब दो पद रिक्त हो गए हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या सिर्फ गहलोत का पद भरा जाएगा या दोनों पद? वर्तमान में दिल्ली सरकार में एक राजपूत, एक दलित, एक मुस्लिम, एक भूमिहार और एक ब्राह्मण समुदाय के नेता शामिल हैं. कैबिनेट में ओबीसी समुदाय के एक भी नेता नहीं हैं.
तीसरा सिनेरियो- इन 4 में से एक को मंत्री पद
दिल्ली सरकार में अगर सिर्फ कैलाश गहलोत की जगह भरी जाती है और उनकी कुर्सी पर जाट समुदाय को ही जगह देने का फैसला होता है, तो आप के 4 विधायकों में से एक की किस्मत खुल सकती है. दिल्ली छावनी से विधायक वीरेंद्र कादियान, बिजवासन से भूपिंदर जून, मुंडका से धर्मपाल लाकड़ा और नागलोई जाट से रघुविंदर शौकीन जाट समुदाय से आते हैं. ऐसी स्थिति में गहलोत की जगह इन 4 में से किसी एक को जगह मिल सकती है.
दिल्ली में 10% जाट, 8 सीटों पर असर
राजधानी दिल्ली में जाट मतदाताओं की आबादी करीब 10 प्रतिशत है. हरियाणा बॉर्डर से लगे राजधानी के करीब 364 गांवों में जाटों का दबदबा है. विधानसभा सीट वाइज अगर देखा जाए तो मुंडका, नागलोई, नजफगढ़ समेत 8 सीटों पर जाट फैक्टर हावी हैं. यह कुल सीटों का 10 प्रतिशत से ज्यादा है. पिछली बार जाट बहुल 5 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की थी. वहीं 3 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.
चुनाव से पहले कैलाश गहलोत का इस्तीफा
विधानसभा चुनाव से 2 महीने पहले कैलाश गहलोत ने सरकार और पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. कैलाश गहलोत ने अपने इस्तीफे में शीशमहल, यमुना सफाई और दिल्ली की लड़ाई को मुख्य मुद्दा बनाया है. नजफगढ़ से विधायक कैलाश गहलोत को 2015 में अरविंद केजरीवाल कैबिनेट में शामिल किया गया था. उनके पास परिवहन जैसे बड़े विभाग थे. वहीं आप ने गहलोत के इस्तीफे को बीजेपी की साजिश बताया है.