मानसून को लेकर अच्छी खबर आ रही है. जिस मानसून का लोगों को बेसब्री से इंतजार है वह तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, 27 से 30 जून के बीच देश के कई हिस्सों में मानसून की एंट्री हो जाएगी. इससे पहले प्री-मानसून दिल्ली-एनसीआर, यूपी, बिहार समेत कई राज्यों में मौसम सुहावना किए हुए है. कई इलाको में हल्की, मध्यम बारिश भी देखी जा रही है. हालांकि, पंजाब और बिहार के कुछ इलाकों में लू की स्थिति देखी गई थी.
भीषण गर्मी और हीट वेव के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली अब उमस भरी गर्मी से बैचैन है. लोग मानसून के आने का इंतजार कर रहे हैं. इस बीच मौसम विभाग ने दिल्ली के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है. 29 और 30 जून को तेज आंधी के साथ बारिश की संभावना जताई है. सप्ताह की शुरुआत से पहले ही दिल्ली-एनसीआर के आसमानों में बादल डेरा डाले हुए हैं. कही-कही बारिश की फुहारें लोगों को राहत दे रही हैं.
इस दिन मानसून की एंट्री
बुधवार को उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में हल्की व पूर्वी इलाके में गजर चमक के साथ बारिश की संभावना है. मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि 28 जून को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, उत्तरी अरब सागर और गुजरात, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, साथ ही छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के शेष हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में 30 जून तक मानसून आ जाएगा.
मानसून की स्थिति
मानसून की उत्तरी सीमा वेरावल, राजपीपला, उज्जैन, विदिशा, सिद्धि, चाईबासा, हल्दिया, पाकुड़, साहिबगंज और रक्सौल से होकर गुजर रही है. मध्य क्षोभमंडलीय पश्चिमी हवाओं में एक गर्त के रूप में पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है, जिसकी धुरी अक्षांश 28°N के उत्तर में मोटे तौर पर देशांतर 70°E के साथ औसत समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर है. दक्षिण-पूर्व पाकिस्तान और उसके आसपास के इलाकों में समुद्र तल से 0.9 किलोमीटर ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है. पूर्वोत्तर असम के ऊपर समुद्र तल से 1.5 किलोमीटर ऊपर तक फैला चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है.
यूपी, बिहार में मानसून की स्थिति
दक्षिण गुजरात और उसके आसपास के इलाकों में चक्रवाती परिसंचरण अब गुजरात-उत्तर महाराष्ट्र के तटों से दूर पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर समुद्र तल से 1.5 और 5.8 किलोमीटर ऊपर है और ऊंचाई के साथ दक्षिण-पश्चिम की ओर झुक रहा है. अब यह गर्त गुजरात-उत्तर महाराष्ट्र के तटों से दूर पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर चक्रवाती परिसंचरण से गुजरात क्षेत्र, मध्य प्रदेश और दक्षिण-पूर्व उत्तर प्रदेश से होते हुए उत्तर बिहार तक समुद्र तल से 1.5 और 3.1 किलोमीटर ऊपर बना हुआ है. महाराष्ट्र-केरल के तटों से दूर समुद्र तल से गर्त बना हुआ है. दक्षिण-पूर्व राजस्थान से मध्य प्रदेश, बिहार और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल से होते हुए उत्तरी बांग्लादेश तक समुद्र तल से 0.9 किलोमीटर ऊपर बना पूर्व-पश्चिम गर्त कम स्पष्ट हो गया है.