बजरंग पूनिया ने लौटाया पद्मश्री पुरस्कार, सोशल मीडिया पर किया बड़ा ऐलान

भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष के तौर पर संजय सिंह के नाम ऐलान होने के बाद से लगातार कई भारतीय कुश्ती खिलाड़ी उनका विरोध करते हुए नजर आए हैं, जिसमें सबसे पहले साक्षी मलिक ने जहां कुश्ती से अपने संन्यास का ऐलान करते हुए सभी को चौंका दिया था, तो वहीं ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने भी अब अपने पद्म श्री पुरस्कार को लौटाने का ऐलान कर दिया है, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर एक लंबा-चौड़ा बयान भी जारी किया है।

कहने के लिए बस मेरा ये पत्र है
पहलवान बजरंग पूनिया ने अपना पद्म श्री पुरस्कार वापस लौटाने के साथ सोशल मीडिया पर जो बयान जारी किया उसमें उन्होंने लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जीत को वापस लौटा रहा हूं, कहने के लिए बस मेरा ये पत्र है और यही मेरा बयान है। बजरंग ने अपने इस स्टेटमेंट में लिखा कि माननीय प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। आपकी इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्सुएल हरासमैंट के गंभीर आरोप लगाए थे, जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं दर्ज हुई तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़क पर उतरकर आंदोलन किया ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण सिंह पर एफआईआर दर्ज करे, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी।

जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल तक आते-आते 7 रह गई थी, यानी इन 3 महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला, इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। हम सबपर बहुत दबाव आ रहा था, हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस-नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी। जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें। इसलिए हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची, जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं।

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