दिल्ली: रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट (RTET) में बड़े बदलाव होने वाले हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा की विरासत में मिले टाटा ग्रुप की कंपनियों के शेयर अब इन दोनों संस्थाओं के पास हैं। इन संस्थाओं का पुनर्गठन किया जा रहा है। रतन टाटा की संपत्ति का मूल्य 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बताया जा रहा है।
खबरों के मुताबिक रतन टाटा के सौतेले भाई-बहन (शिरीन और डीएन जेजीभॉय व नोएल टाटा) इन ट्रस्टों में ट्रस्टी के रूप में शामिल होंगे। इससे टाटा परिवार का ग्रुप में योगदान बना रहेगा। RTEF और RTET की स्थापना रतन टाटा के निधन से कुछ साल पहले ही की गई थी। ये संस्थाएं उनकी वित्तीय संपत्ति की कानूनी संरक्षक हैं। रतन टाटा का अक्टूबर 2024 में निधन हो गया था।
किसकी कितनी हिस्सेदारी?
ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में रतन टाटा की 0.83% हिस्सेदारी थी। टाटा डिजिटल, टाटा मोटर्स और टाटा टेक्नोलॉजीज में भी उनके शेयर थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबरों के अनुसार ये सभी शेयर अब RTEF को दिए गए हैं। स्टार्टअप्स में उनके निवेश को या तो बेचकर RTET को दिया जाएगा या सीधे ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
क्या करती हैं दोनों संस्थाएं?
RTEF एक सेक्शन 8 कंपनी है, जबकि RTET भारतीय ट्रस्ट अधिनियम के तहत काम करता है। दोनों संस्थाएं शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और जरूरतमंद समुदायों के उत्थान के लिए काम करती हैं। ये सभी ऐसे कार्य हैं जिन्हें रतन टाटा खुद आगे बढ़ाते थे। दोनों ट्रस्टों के पास टाटा ग्रुप की कंपनियों में उनके शेयरों के अनुपात में वोटिंग अधिकार होंगे।