अयोध्या के राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह आज धूमधाम से होगा. इसके साथ से सालों से राम भक्तों की इच्छा पूरी होगी और रामलला भव्य मंदिर में विराजेंगे. प्रधानमंत्री अयोध्या में नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे. उसके बाद प्रधानमंत्री कुबेर टीला जाएंगे, जहां भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है. प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के सभी प्रमुख धार्मिक और अध्यात्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर लगभग 12 बजे अयोध्या में नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (प्रतिष्ठा) समारोह में भाग लेंगे. इससे पहले अक्टूबर, 2023 में प्रधानमंत्री को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा निमंत्रण मिला था.
पीएम मोदी प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद करेंगे संबोधित
इस अवसर पर प्रधानमंत्री इस विशिष्ट सभा को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण से जुड़े श्रमजीवियों से संवाद करेंगे. प्रधानमंत्री कुबेर टीला भी जाएंगे, जहां भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है. वह इस पुनर्निर्मित मंदिर में पूजा और दर्शन भी करेंगे.
प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. वह वैदिक नियम और रीति-रिवाज और अनुष्ठान का पालन कर रहे हैं और दक्षिण भारत सहित कई स्थानों में श्रीराम से संबंधित तीर्थ स्थानों में जाकर पीएम मोदी ने पूजा-अर्चना की भी है.
मंदिर में कुल 44 दरवाजे एवं 392 स्तंभ
रामलला के लिए भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है. इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट है; चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है और यह कुल 392 स्तंभों और 44 दरवाजों द्वारा समर्थित है. मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और देवियों के जटिल चित्रण प्रदर्शित हैं. भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बचपन के स्वरूप (श्री रामलला की मूर्ति) को रखा गया है.
पूर्वी दिशा में राम मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार स्थित है. यहां सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जाएगा. मंदिर में कुल पांच मंडप (हॉल) हैं – नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप. राम मंदिर के पास एक कुआं (सीता कूप) है, जो ऐतिसाहिक है और प्राचीन काल का है. मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में कुबेर टीला में, भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है, साथ ही जटायु की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है.
मंदिर निर्माण में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं
रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) की 14 मीटर मोटी परत मंदिर की नींव का निर्माण किया गया है. इससे यह कृत्रिम चट्टान की तरह बन जाता है. मंदिर के निर्माण में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ग्रेनाइट का उपयोग करके जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है.
मंदिर परिसर में जल उपचार संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति, एक सीवेज उपचार संयंत्र और एक स्वतंत्र बिजली स्टेशन है. मंदिर का निर्माण देश की पारंपरिक, स्वदेशी तकनीक के साथ-साथ नागर शैली के इस्तेमाल कर किया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर के निर्माण में अभी तक 1100 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं और करीब 300 करोड़ रुपए अभी और खर्च होने की संभावना है.