मद्रास हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को जबरन सेक्स से दूर रखना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। एक अखबार नवभारत टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक कोर्ट ने कमर के नीचे से पैरालाइज्ड एक शख्स एन. आनंद कुमार को 63 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। 2008 में आनंद के ऊपर एक बिजली का खंभा गिर गया था, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट आई और वह कमर के नीचे से पैरालाइज हो गए।
हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने पीड़ित को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। मगर चेन्नै नगर निगम ने इसके खिलाफ बड़ी बेंच के पास अपील की थी कि इस केस को सिविल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए। हालांकि डिविजन बेंच ने निगम की याचिका खारिज करते हुए कहा कि नगर निगम की लापरवाही न सिर्फ आनंद कुमार को वीलचेयर पर ले आई, बल्कि उनकी शादी के चांसेज़ भी खत्म कर दिए।
‘आनंद को अपनी मर्जी के खिलाफ ब्रह्मचारी रहना पड़ा’
बेंच ने कहा कि आनंद को अपनी मर्जी के खिलाफ ब्रह्मचारी ही रहना पड़ा। वह नगर निगम की लापरवाही की वजह से वैवाहिक सुख से वंचित रहा। कोर्ट ने इसे मानवाधिकार का उल्लंघन बताते हुए अपने फैसले में इस बात का भी जिक्र किया कि किस तरह जबरन सेक्स से दूर किए जाने के सेहत पर बुरे असर होते हैं।
कोर्ट ने 12 गुना बढ़ा दिया मुआवजा
इसके साथ ही कोर्ट ने सिंगल जज बेंच द्वारा दिए गए 5 लाख के मुआवजे को 12 गुना बढ़ाकर 63 लाख रुपये कर दिया। दरअसल नगर निगम की ओर से उनके वकील का तर्क था कि इलेक्ट्रिक खंभे का काम आउटसोर्स किया गया था और नगर निगम की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई है।