हरियाणा में 8500 निजी स्कूल संचालकों को राहत, चलती रहेंगी नर्सरी से यूकेजी कक्षाएं..

चंडीगढ़: हरियाणा के 8500 निजी स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी की कक्षाएं पहले की तरह चलती रहेंगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने कक्षाओं को बंद करने के अपने आदेश पर यू-टर्न लिया है। गुरुवार को अतिरिक्त निदेशक प्रशासन मौलिक शिक्षा की ओर से पत्र जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि इन कक्षाओं को बंद करने का निर्णय निदेशालय ने नहीं लिया है और न ही कोई योजना विचाराधीन है। जबकि, 22 नवंबर को मौलिक शिक्षा निदेशक की ओर से अवैध रूप से चलाई जा रही कक्षाओं को बंद कराने के निर्देश दिए गए थे।

स्वास्थ्य सहयोग संगठन के प्रदेशाध्यक्ष बृजपाल परमार की शिकायत पर सभी डीईईओ और निदेशक महिला एवं बाल विकास को शिकायत पर कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट देने को कहा गया था। मौलिक शिक्षा विभाग के फैसला पलटने से निजी स्कूल संचालकों को बड़ी राहत मिली है। निदेशालय के फैसले से संचालकों की हवाइयां उड़ गई थीं। उन्होंने फैसला वापस न लेने पर आंदोलन की चेतावनी तक दे डाली थी।

प्री स्कूलिंग के लिए एनसीईआरटी ने बनाए दिशा-निर्देश
अतिरिक्त निदेशक प्रशासन मौलिक शिक्षा ने ताजा निर्देश में कहा है कि स्कूलों में ड्राप आउट को रोकने के लिए नर्सरी से यूकेजी तक की कक्षाओं की व्यवस्था बनाई गई है। नर्सरी के बच्चे अपने बड़े भाई-बहनों के साथ स्कूल आते हैं। इस संबंध में एनसीईआरटी और एससीईआरटी की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट निर्देश, पाठ्यक्रम, समय सारिणी उपलब्ध नहीं थी।

निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए एनसीईआरटी ने हाल ही में प्री स्कूल एजुकेशन के दिशा-निर्देश बनाए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी प्री स्कूलिंग के लिए पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क तैयार किया है। 12 फरवरी 2019 को हाईकोर्ट ने भी दाखिले की आयु, स्कूल का समय व पाठ्यचर्चा संबंधी निर्देश जारी किए हैं। इनकी पालना करना स्कूलों का दायित्व है। जहां तक बच्चों की सुरक्षा का मामला है, उससे कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।

प्री प्राइमरी कक्षाओं के साथ सीबीएसई की मान्यता: कुंडू
हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि सरकार के निर्णय वापस लेने का स्वागत है। सरकार की पॉलिसी में पहले से ही आठवीं, दसवीं व बारहवीं कक्षा तक की मान्यता का प्रावधान है। सीबीएसई तो मान्यता ही प्री प्राइमरी कक्षाओं के साथ देता है। ऐसे में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में तुगलकी फरमान को थोपा नहीं जा सकता था। अगर ऐसा होता तो 3 से 5 वर्ष तक के बच्चों को माता-पिता अपने घर पर रखकर कैसे शिक्षा दे पाते।

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