दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship law) को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई करेगा. संशोधित नागरिकता कानून बीते हफ्ते लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पारित हुआ और राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद अधिनियमित हो गया. इस कानून के खिलाफ अदालत का रुख करने वालों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, इंडियन मुस्लिम लीग और असम सरकार में बीजेपी की सहयोगी असम गण परिषद शामिल है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के लिए सबसे पहली याचिका मुस्लिम लीग ने दायर की थी. इसमें आरोप लगाया गया है कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है और इसका स्पष्ट मकसद मुसलमानों के साथ भेदभाव करना है क्योंकि प्रस्तावित कानून का लाभ सिर्फ हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को ही मिलेगा.
मुस्लिम लीग ने दायर की थी पहली याचिका
याचिका में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ताओं को शरणार्थियों को नागरिकता दिये जाने के बारे में कोई शिकायत नहीं है लेकिन याचिकाकर्ता की शिकायत धर्म के आधार पर भेदभाव और अनुचित वर्गीकरण को लेकर है.’ कहा गया है, ‘गैरकानूनी शरणार्थी अपने आप में ही एक वर्ग है और इसलिए उनके धर्म, जाति या राष्ट्रीयता के आधार के बगैर ही उन पर कोई कानून लागू किया जाना चाहिए.’
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने अहमदिया, शिया और हजारा जैसे अल्पसंख्यकों को इस कानून के दायरे से बाहर रखने के बारे में कोई स्पष्टीरण नहीं दिया है. बुधवार को ही नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश और त्रिपुरा राज परिवार के वंशज प्रद्योत किशोर देव बर्मन की याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
वहीं इस कानून के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश भर के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किये गये. इस कानून के तहत पाकिस्तन, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है