देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक SBI (State Bank of India) अपने ग्राहकों की सभी सुविधाओं का खास ख्याल रखता है. इसीलिए, बैंक ने अपनी सुविधाओं के बारे में वेबसाइट पर डिटेल्स में जानकारी दी है.
कई बार अचानक पैसों की जरुरत आ जाता है. जिसे पूरा करने के लिए खाते में पैसे नहीं होते. ऐसे में सबसे पहले इंसान अपने दोस्त और रिश्तेदारों से मदद मांगता है. अगर वहां से भी मदद नहीं मिलती है तो अक्सर लोग क्रेडिट कार्ड की मदद लेते है या फिर पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करते है. पर्सनल लोन में ब्याज की दर काफी ज्यादा होती है. ऐसे में मजबूरी कई बार टेंशन बन जाती है. इसीलिए आज हम आपको SBI की खास सुविधा ओवरड्राफ्ट के बारे में बता रहे हैं.
क्या होती है ओवरड्राफ्ट- देश के सभी बैंक ओवरड्राफ्ट फैसलिटी देते हैं. सरकारी और निजी बैंक ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी देते हैं.
ज्यादातर बैंक करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर यह सुविधा देते हैं. कुछ बैंक शेयर, बॉन्ड और बीमा पॉलिसी जैसे एसेट के एवज में भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं.इस फैसिलिटी के तहत बैंक से आप अपनी जरूरत का पैसा ले सकते हैं और बाद में यह पैसा चुका सकते हैं.
SBI में किसको मिलती है ओवरड्राफ्ट सुविधा
एसबीआई की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, आपके वेतन खाते में नियमित वेतन जमा हो तो वो ग्राहक ओवरड्राफ्ट सुविधा का इस्तेमाल कर सकता हैं.
कैसे मिलेगी ओवरड्राफ्ट सुविधा
ओवरड्राफ्ट की सर्विस के लिए आपको बैंक के पास अप्लाई करना होता है. कई बैंक अपनी ऐप में भी ये सुविधा देते हैं.
अगर आपके बैंक में कोई एफडी नहीं है तो फिर पहले आपको बैंक में कोई एसेट्स गिरवी रखना पड़ता है. उसके बाद शर्तों को पूरी करने पर बैंक आपको ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी दे देते हैं.
आजकल कई बैंक अपने अच्छे ग्राहकों को पहले से ही ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी का ऑफर देते हैं. ऐसा होने पर फिर लोन लेना बहुत आसान हो जाता है.
ओवरड्राफ्ट में कोई कितना पैसा ले सकता हैं?
आपका बैंक यह तय करेगा कि आप ओवरड्राफ्ट के तहत कितना पैसा ले सकते हैं. यह लिमिट इस बात पर निर्भर करती है कि इस फैसिलिटी के लिए आपने बैंक में क्या और कितना गिरवी (कोलैटरल) रखा है. सैलरी और एफडी के मामले में बैंक लिमिट ज्यादा रखते हैं.
अगर आसान शब्दों में कहें तो आपके बैंक में आपकी 2 लाख रुपये की एफडी की है तो ओवरड्राफ्ट के लिए बैंक 1.60 लाख रुपये (80%) की लिमिट तय कर सकता है. शेयर और डिबेंचर के मामले में लिमिट 40 से 70 फीसदी हो सकती है.
ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी लोन से कैसे अलग?
जब आप लोन लेते हैं तो उसे चुकाने के लिए एक अवधि तय होती है. अगर कोई लोन को अवधि से पहले चुका दे तो उसे प्रीपेमेंट चार्ज देना होता है लेकिन ओवरड्राफ्ट के साथ ऐसा नहीं है.
आप तय अवधि से पहले भी बिना कोई चार्ज दिए पैसे चुका सकते हैं. साथ इस पर ब्याज भी केवल उतने ही वक्त का देना होता है, जितने वक्त तक ओवरड्राफ्टेड अमाउंट आपके पास रहा.
इसके अलावा आपको EMI में पैसे चुकाने की भी बाध्यता नहीं है. आप तय अवधि के अंदर कभी भी पैसे चुका सकते हैं. इन चीजों के चलते यह लोन लेने से ज्यादा सस्ता और आसान है.
क्या जॉइंट अकाउंट वालों को भी मिलेगी ये सुविधा
बैंकिंग एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस सुविधा का फायदा जॉइंट खाताधारक भी उठा सकते है. ऐसे में पैसे चुकाने की जिम्मेदारी भी दोनों की होगी.वहीं अगर कोई एक अमाउंट को नहीं चुका पाता है तो दूसरे को पूरा अमाउंट चुकाना होगा.
क्या है ओवरड्राफ्ट का फायदा?
क्रेडिट कार्ड या दूसरे पर्सनल लोन के मामले में यह काफी सस्ता है. इसमें आपको अपेक्षाकृत कम ब्याज देना पड़ता है. दूसरा फायदा यह है कि ओवरड्राफ्ट में आप जितने समय के लिए पैसा लेते हैं, उतने समय के लिए ही आपको ब्याज देना पड़ता है. पर्सनल लोन तय अवधि के लिए मिलता है. इसे समय से पहले चुकाने पर आपको पेनाल्टी देनी पड़ सकती है. इसके अलावा पर्सनल लोन में आपको प्रोसेसिंग चार्ज जैसे दूसरे खर्च भी उठाने पड़ते हैं.