मुंंबई: एंटीलिया केस में एपीआई सचिन वाजे के फंसने के बाद ये सवाल पैदा हो गया है कि सचिन आखिर किसके कहने पर काम करता था ? मुम्बई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख, एपीआई सचिन वझे को सीधे अपने बंगले पर बुलाया करते थे और उन्होंने उसे 100 करोड़ रुपये की वसूली का टारगेट दे रखा था. तो क्या मुंबई पुलिस आयुक्त का एक एपीआई, मुम्बई पुलिस कमिश्नर को बाईपास कर सीधे गृहमंत्री को रिपोर्ट करता था? लेकिन 30 मार्च को गृहविभाग को मुंबई पुलिस की दी गई एक रिपोर्ट लगी है जिसके मुताबिक, एपीआई सचिन वझे सीधे मुम्बई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के मातहत काम कर रहा था. वाजे क्राइम ब्रांच के किसी भी बड़े अफसर को रिपोर्ट नही करता था. 5 पन्नों की इस रिपोर्ट में वाजे की फिर से सेवा में नियुक्ति से लेकर 9 महीने तक की पूरी जानकारी दी गई है.गौरतलब है कि परमबीर सिंह के आरोपों के बाद देशमुख भी महाराष्ट्र के गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं
इस रिपोर्ट में जो सबसे बड़ी बात है वो ये कि वाजे को 8 जून 2020 को मुम्बई पुलिस के LA यानी आर्म्ड फोर्स में नियुक्ति की गई. सचिन वाजे की नियुक्ति का फैसला तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त, सह पुलिस आयुक्त ( एडमिन) अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ( LA)और मंत्रालय डीसीपी ने लिया था. ये नॉन एग्जेक्युटिव पोस्टिंग थी जो अमूमन निलंबित अफसरों की फिर से नियुक्ति के बाद दी जाती है.लेकिन वाजे के लिये 8 जून 2020 को ही पुलिस अस्थापना मंडल की बैठक हुई और उसमें वाजे को मुम्बई क्राइम ब्रांच में लेने का आदेश पारित कर दिया गया. और एक दिन बाद 9 जून 2020 को ही तत्तकालीन जॉइंट सीपी क्राइम ने वाजे को क्रिमिनल इंटेलिजेंस यूनिट में पोस्टिंग दिखा दी.रिपोर्ट में लिखा है कि मुम्बई पुलिस आयुक्त के मौखिक आदेश पर तबके जॉइंट कमिश्नर क्राइम ने CIU में कार्यरत पुलिस निरीक्षक विनय घोरपड़े और सुधाकर देशमुख का वहां से तबादला कर अन्यत्र भेज दिया गया
तत्कालीन जॉइंट सीपी ने किया था विरोध
मुम्बई पुलिस रिपोर्ट में इस बात का खास उल्लेख किया गया है कि तबके जॉइंट कमिश्नर क्राइम ने वाजे की CIU में नियुक्ति का विरोध किया था . लेकिन मुम्बई पुलिस आयुक्त के दबाव में उन्होंने वाजे की CIU में नियुक्ति के आदेश पर न चाहते हुए भी सही किया. गौरतलब है कि मुम्बई पुलिस आयुक्त का 25 मई 2020 का एक आदेश है जिसमें कहा गया है कि क्राइम ब्रांच यूनिट में इंचार्ज और पीआई स्तर के अधिकारी की नियुक्ति मुम्बई पुलिस आयुक्त की सहमति से ही की जा सकती है.मुम्बई पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक CIU इंचार्ज की पोस्ट पीआई की होने के बावजूद एपीआई सचिन को दी गई और ऐसा मुम्बई पुलिस आयुक्त के मौखिक आदेश के बाद किया गया.
रिपोर्ट में ये भी साफ किया गया है कि क्राइम ब्रांच में रिपोर्टिंग सिस्टम के तहत जांच अधिकारी यूनिट इंचार्ज को रिपोर्ट करता है. उसके बाद जांच अधिकारी के साथ यूनिट इंचार्ज एसीपी को फिर डीसीपी को, एडिशनल सीपी को और फिर जॉइंट सीपी को.लेकिन एपीआई वाजे इन सबको बाईपास कर सीधे मुम्बई पुलिस आयुक्त को रिपोर्ट करता था और उन्ही के निर्देश पर काम करता था. किस पर कार्रवाई करनी है कहाँ छापा मारना है? किसे गिरफ्तार करना है और किसे गवाह बनाना है सब निर्देश वो सीधे मुम्बई पुलिस आयुक्त से लेता था.वाजे ने अपने मातहत अफसरों को भी सख्त हिदायत दे रखी थी कि वो क्राइम ब्रांच के बड़े अफसरों को कभी रिपोर्ट न करें. वाजे खुद भी कभी क्राइम ब्रांच के अफसरों को रिपोर्ट नही करता था. सिर्फ पूछने पर कभी कभार इंफॉर्मली मिलकर जानकारी देता था. इतना ही नही, बड़े आपराधिक मामलों में वाजे खुद मुम्बई पुलिस आयुक्त की ब्रीफिंग में उपस्थित रहता था और बाद में क्राइम ब्रांच के बड़े अफसरों को सूचित करता था.एपीआई सचिन वाजे के पास 9 महीने के कार्यालय में 17 बड़े केस दिये गए थे।