नई दिल्ली: आयकर विभाग ने हैदराबाद स्थित हेटरो फार्मास्यूटिकल समूह पर हाल में की गई छापेमारी के बाद 550 करोड़ रुपये की “बेहिसाबी” आय का पता लगाया है और 142 करोड़ रुपये से अधिक नकद राशि जब्त की है. आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह दावा किया. कंपनी के अधिकारियों से फिलहाल इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं मिल पाई है. आयकर विभाग द्वारा छह अक्टूबर को करीब छह राज्यों में लगभग 50 स्थानों पर छापे मारे थे.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में बताया, ‘छापेमारी के दौरान, कई बैंक लॉकरों का पता चला जिनमें से 16 लॉकर चालू स्थिति में थे. छापेमारी में अब तक 142.87 करोड़ की बेहिसाबी नकद राशि जब्त की गई है. पता लगाई गई बेहिसाबी आय अब तक तकरीबन 550 करोड़ रुपये तक की है.”
आधिकारिक सूत्रों ने इसे हैदराबाद के हेटरो फार्मा समूह से जुड़ा बताया है. सीबीडीटी ने कहा कि आगे की जांच जारी है. सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीति तैयार करता है. सीबीडीटी ने कहा कि समूह फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) आदि के निर्माण के कारोबार में है और अधिकांश उत्पादों को अमेरिका और दुबई जैसे देशों तथा कुछ अफ्रीकी और यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता है.
इसने दावा किया, “फर्जी और गैर-मौजूद संस्थाओं से की गई खरीद में विसंगतियों और खर्च के कुछ विषयों की कृत्रिम मुद्रास्फीति से संबंधित मुद्दों का पता चला. इसके अलावा, भूमि की खरीद के लिए पैसे के भुगतान के सबूत भी मिले थे.”
कई अन्य कानूनी मुद्दों का भी पता चला जैसे कि व्यक्तिगत खर्च कंपनी के खातों में लिखा जा रहा था और संबंधित पक्षों द्वारा खरीदी गई जमीन की कीमत “सरकारी पंजीकरण मूल्य से नीचे” बताई गई थी. इसने आरोप लगाया कि छापेमारी के दौरान ठिकानों की पहचान की गई जहां बही-खातों और नकदी का दूसरा गट्ठर मिला.
सीबीडीटी ने कहा, “डिजिटल मीडिया, पेन ड्राइव, दस्तावेजों आदि के रूप में अपराध साबित करने वाले दस्तावेज मिले जिन्हें जब्त कर लिया गया और समूह द्वारा बनाए गए एसएपी और ईआरपी सॉफ्टवेयर से डिजिटल “साक्ष्य” एकत्र किए गए.”
कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने और कोविड-19 के इलाज के लिए रेमेडेसिविर और फेविपिरावीर जैसी विभिन्न दवाएं विकसित करने के कामों में शामिल रहने के कारण हेटरो समूह सुर्खियों में रहा था.
हेटरो समूह के भारत, चीन, रूस, मिस्र, मैक्सिको और ईरान में 25 में अधिक उत्पादन केंद्र हैं. हेटरो ने पिछले महीने कहा था कि उसे अस्पताल में भर्ती वयस्कों में कोविड -19 के इलाज के लिए टोसीलिज़ुमैब के बायोसिमिलर (पारंपरिक दवा से मिलता-जुलता) संस्करण के लिए भारत के औषधि माहनियंत्रक (डीसीजीआई) से आपातकालीन उपयोग की अनुमति मिली है. उल्लेखनीय है कि यह फार्मा कंपनी उन कंपनियों में शामिल है, जिसने भारत में कोविड-19 के टीके स्पुतनिक वी के विनिर्माण के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के साथ करार किया है.