नई दिल्ली: देश में एक बार फिर से कोरोना ( CORONA) के मामले बढ़ने लगे हैं. कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (OMICRON) के खतरे के बीच कई राज्यों ने अपने यहां पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर हो रहीं रैलियों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है. सोशल डिस्टैंसिंग सहित कोरोना से बचाव के अन्य मानकों की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं. कांग्रेस, भाजपा या समाजवादी पार्टी हो, इनकी रैलियों में उमड़ रही भीड़ में बहुत कम ही लोग मास्क पहने नजर आते हैं. सोशल डिस्टैंसिंग तो पूरी तरह नदारद है.
रविवार को कांग्रेस की महिला मैराथन हो या उन्नाव में अखिलेश यादव की रैली, यहां कोविड प्रोटोकॉल का पालन होता नहीं दिखा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हरदोई में रोड शो में भी लोग कोविड के खतरे को लेकर बेपरवाह नजर आए. बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक था. गंगा में मिले लाशों ने मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं और उत्तर प्रदेश सरकार की खूब किरकरी हुई थी. बता दें कि राज्य में 30 प्रतिशत से भी कम आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया गया है.
गौरतलब है कि देशभर में बढ़ते कोरोना (Covid 19 Cases) के मामलों के मद्देनजर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यूपी चुनाव टालने (Elections) और रैलियों पर तुरंत पाबंदी लगाने का का आग्रह किया था. दरअसल, हाईकोर्ट के जज ने कहा था कि जान है तो जहान है. अगर रैलियों को नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से भी बदतर होंगे. यूपी चुनाव 1 से 2 महीने टाले जाएं. चुनावी रैलियों पर फौरन पाबंदी लगे.
उन्होंने कहा था कि यूपी ग्राम पंचायत चुनाव और बंगाल विधानसभा चुनाव ने बहुत से लोगों को संक्रमित किया, जिससे कई मौतें भी हुईं. राजनीतिक दल आगामी यूपी विधानसभा चुनावों के लिए रैलियों और सभाओं का आयोजन कर रहे हैं और ऐसे आयोजनों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना असंभव है. हालांकि सूत्रों ने संकेत दिया कि चुनाव आयोग चुनाव कार्यक्रम पर कायम रह सकता है. कल सरकार ने उन पांच राज्यों में कोविड की स्थिति की समीक्षा बैठक की, जहां चुनाव होने वाले हैं. बैठक के बाद सरकार ने कहा कि उन राज्यों में जहां अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं, वहां कोरोना वायरस का टीकाकरण बढ़ाया जाना चाहिए.