नई दिल्ली: इन दिनों ऑनलाइन ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसे लेकर तमाम राज्यों की पुलिस अपने स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष तरह का अभियान भी चलाती हैं. बावजूद इसके ऐसी घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. ऐसा ही एक मामला अब राजस्थान के श्रीगंगानगर से सामने आया है. यहां ठगों ने इस बार एक किसान को अपना शिकार बनाया है. पीड़ित किसान की पहचान 26 वर्षीय हर्षवर्धन के रूप में की गई है. इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि दिल्ली के द्वारका में रहने वाले हर्षवर्धन ने अपना फोन नंबर श्रीगंगानगर शहर स्थित भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शाखा में अपने पिता के खाते में दर्ज कराया था. पिछले महीने की सात तारीख को तड़के करीब 3.45 बजे उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि आपका खाता ब्लॉक हो गया है, कृपया अपना केवाईसी करा लें. इस मैसेज के साथ ही एक लिंक भी दिया गया था.
पुलिस अधिकारी के अनुसार हर्षवर्धन के मोबाइल फोन में पहले से ही ‘योनो’ ऐप अपलोड था, लेकिन जैसे ही उसने लिंक पर क्लिक किया, उसके मोबाइल फोन पर एक और ‘डुप्लीकेट’ ऐप डाउनलोड हो गया. पुलिस के अनुसार हर्षवर्धन को लगा कि उसे इस नए एप पर जाकर ही अपना केवाईसी करना होगा. इसलिए उसने अपना यूजर आईडी और पासवर्ड दर्ज किया. अचानक, उसे पिता के बैंक खाते से पैसे निकलने के संदेश आने लगे और सात मिनट में ही ठगों ने उनके खाते से 8 लाख रुपये से ज्यादा की रकम निकाल ली
पुलिस की जांच में पता चला है कि हर्षवर्धन के पिता के खाते में जो पैसे थे वो लोन का पैसा था.हर्षवर्धन के पिता ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत खेती के लिए लोन लिया था. खाते से पैसे निकलने की जानकारी मिलने के बाद हर्षवर्धन ने गंगानगर शहर में रह रहे अपने पिता को फोन किया. इसके बाद उनके पिता सोनी ने बैंक मैनेजर को इस घटना की जानकारी दी. इस ठगी को लेकर हर्षवर्धन ने द्वारका में जिला साइबर इकाई को भी एक शिकायत दी है.
बैंक प्रबंधक ने हर्षवर्धन के पिता के अनुरोध पर तेजी से कार्रवाई की और स्थानीय साइबर इकाई को फोन किया. प्रबंधक ने वित्तीय संस्थानों को उन खातों को ब्लॉक करने के लिए एक ईमेल भी भेजा, जिसमें धनराशि अंतरित की गई थी।
सोनी ने कहा कि प्रबंधक ने मुझे बताया कि मेरे खाते से धनराशि तीन खातों में भेजी गई – पांच लाख रुपये और 1.24 लाख रुपये ‘पेयू’ में भेजे गए, 1,54,899 रुपये ‘सीसीएवेन्यू’ में अंतरित किए गए और बाकी 25,000 रुपये एक्सिस बैंक में गए.
पेयू और सीसीएवेन्यू दोनों डिजिटल भुगतान कंपनियां हैं जो ग्राहकों और व्यावसायिक उपक्रमों के बीच एक सेतु का काम करती हैं. जब खरीदार ऑनलाइन खरीदारी करते हैं तो वे भुगतान एकत्र करती हैं और उन्हें बैंक खातों में पहुंचाती हैं.
सोनी ने कहा कि बैंक प्रबंधक ने मुझे सूचित किया कि पेयू ने उनके ईमेल पर जवाब दिया और कहा कि उसने धनराशि रोक ली है। उसने यह भी कहा कि अगर उसे दो दिनों के भीतर साइबर अपराध विभाग से राशि वापस करने के लिए कोई ईमेल प्राप्त नहीं होता है, तो वह धनराशि मर्चेंट के खाते में भेज देगी.
उधर, सीसीएवेन्यू ने कहा कि उसने साइबर अधिकारियों को भी जवाब दिया और 7 जनवरी को सभी जानकारी प्रदान की, जब कंपनी को कथित धोखाधड़ी के बारे में पता चला.
इस बीच, सोनी के बेटे हर्षवर्धन ने एक ऑनलाइन शिकायत की और दो दिन बाद सोमवार को प्राथमिकी दर्ज कराने गए, जिसे दर्ज नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि फिर मैं अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त से मिला, जिन्होंन थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया. आखिरकार, धोखाधड़ी होने के तीन दिन बाद 10 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की गई.
इसके बाद उनके पिता ने गंगानगर शहर की साइबर इकाई से संपर्क किया. उन्होंने पेयू को पत्र लिखा और उसके खाते में 6,24,000 रुपये वापस आ गए. हालांकि , सोनी एक्सिस बैंक और सीसीएवेन्यू में गई राशि का पता लगाये जाने की भी मांग कर रहे हैं. सोनी ने कहा कि मेरे अनुरोध पर, मेरे रिश्तेदारों के डिजिटल वित्त पेशेवर दोस्तों ने इसका पता लगाया और पाया कि एक्सिस बैंक में गए 25,000 रुपये कोलकाता के एक एटीएम से निकाले गए.