मौसम विभाग ने जुलाई महीने में सामान्य बारिश (एलपीए या लॉन्ग पीरियड एवरेज का 94-106 फीसदी) की संभावना जताई है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तर पूर्व के राज्यों समेत 20 से ज्यादा राज्यों में आज मध्यम से भारी बारिश की संभावना है. कई राज्यों में तो बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. देश जून महीने में 10 फीसदी मानसून की बारिश कम हुई है. मानसून के लिए एलपीए की गणना 1971-2020 के दौरान बारिश के आंकड़ों के आधार पर की जाती है, जो कि 87 सेंटीमीटर है.
आईएमडी ने बताया कि जून में उत्तर पश्चिम भारत में 42% अधिक बारिश हुई. वहीं पूर्वी और पूर्वोत्तर में 18 फीसदी कम, दक्षिण में 45% कम और मध्य भारत में 6% कम वर्षा दर्ज की गई. मौसम विभाग के मुताबिक, जुलाई में बारिश की कमी काफी हद तक पूरी हो सकती है, जो सीजन की कुल बारिश का लगभग एक तिहाई है. इस महीने देशभर में बारिश का एलपीए 5 फीसदी कम या ज्यादा के साथ 96 फीसदी रह सकता है
26 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई, 26% कम
मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मानसून की असमान बारिश ने धान की बुआई को प्रभावित किया है. 30 जून तक के आंकड़े बताते हैं कि किसानों ने इस बार 26 लाख हेक्टेयर में ही बुआई कर पाए हैं. पिछले साल इस अवधि की तुलना में 26 फीसदी कम है. 1971-2020 के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि जुलाई महीने में बारिश का एलपीए 280.4 मिलिमीटर रहा है.
मध्य, उत्तर-पश्चिम में अच्छी बारिश की संभावना
जुलाई में मध्य भारत के अधिकांश हिस्से, आसपास के दक्षिणी क्षेत्रों और पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्से में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है. इनके अलावा उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिणी राज्यों में सामान्य से कम बारिश की संभावना है. विभाग के मुताबिक, 4 जुलाई तक बंगाल की खाड़ी में कम दबाव वाले क्षेत्र बन सकते हैं जिससे मध्य और उत्तर-पश्चिम में अच्छी बारिश हो सकती है.
जून के आखिरी सप्ताह में हुई बारिश
आंकड़े से पता चलता है केरल में एक महीने की देरी से मानसून आया, इसके बाद यह धीमा पड़ गया. उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में जून के आखिरी सप्ताह में अच्छी बारिश हुई. आईएमडी का मानना है कि 7 जून को अरब सागर में बने चक्रवात बिपरजॉय ने मानसून को एक्टिव करने और पश्चिम की तरफ भेजने में मदद की. इसके उत्तर की तरफ बढ़ने के बाद मानसून धीमा हो गया. पिछले सप्ताह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में कम दबाव वाले क्षेत्र की वजह से मानसून एक्टिव हुआ उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में अच्छी बारिश हुई.