संसद के विशेष सत्र की आज से शुरुआत होने जा रही है. 18 से 22 सितंबर तक चलने वाले इस विशेष सत्र में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्त से संबंधित बिल पर चर्चा होने के साथ-साथ भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के लक्ष्य पर बातचीत होगी. विशेष सत्र के दौरान देश की संसद को पुराने भवन से नए भवन में भी शिफ्ट किया जाएगा.
इसके लिए 19 सितंबर को सुबह 11 बजे पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों को इकट्ठा होने के लिए कहा गया है. इस दौरान विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे और संसद की ऐतिहासिक विरासत का भी उल्लेख किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सांसदों को संबोधित करेंगे और पुराने संसद भवन में अब तक हुई बैठकों और कानूनों का भी जिक्र कर सकते हैं.
विशेष सत्र के पहले दिन यानी सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 10.30 बजे संसद भवन में अपनी बात रखेंगे. इसके बाद दोनों सदनों में 75 साल की संसदीय यात्रा पर चर्चा की शुरुआत होगी. पीएम मोदी लोकसभा में तो केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं.
सरकार ने संसद के विशेष सत्र को लेकर अपने सभी मंत्रियों को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभी कैबिनेट, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्रियों को उपस्थित रहने के लिए कहा है. सरकार के सभी मंत्रियों को पांच दिनों तक सदन की पूरी कार्यवाही के दौरान मौजूद रहने के लिए भी कहा गया है.
दोनों सदनों में सभी मंत्री रहेंगे मौजूद
अमूमन दोनों सदनों में कार्यवाही के दौरान एक-एक मंत्री की 4 -4 घंटे की रोस्टर ड्यूटी लगती है जिनको अपने रोस्टर के मुताबिक सदन में मौजूद रहना अनिवार्य होता हैं, लेकिन विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में सभी मंत्रियों को मौजूद रहने का निर्देश दिया गया है. बीजेपी पहले ही अपने दोनों सदनों के सांसदों को विशेष सत्र के पांचों दिन सदन में मौजूद रहने को लेकर तीन लाइन का व्हिप जारी कर चुकी है. दूसरी ओर से कांग्रेस पार्टी ने भी अपने राज्यसभा सांसदों को पूरे विशेष सत्र के दौरान सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है.
संविधान सभा से लेकर आज तक की यात्रा पर चर्चा
संसद के विशेष सत्र के एजेंडे में 75 सालों में संविधान सभा से लेकर आज तक संसदीय यात्रा पर चर्चा शामिल है. इसके अलावा विशेष सत्र के एजेंडे में चार बिल भी सूचीबद्ध किए गए हैं जिसमें एडवोकेट संशोधन बिल, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल्स बिल, पोस्ट ऑफिस बिल और मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य चुनाव आयुक्त नियुक्ति सेवा शर्त बिल शामिल हैं.
संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन यानी 19 सितंबर को पुराने संसद भवन से नई संसद भवन में शिफ्टिंग का कार्यक्रम होगा. इस दौरान नई पार्लियामेंट बिल्डिंग में कार्यरत कर्मचारी नए ड्रेस में नजर आएंगे.संसद की कार्यवाही में शामिल रहने वाले 5 विभागों के लोगों को बिलकुल नए अंदाज में देखा जा सकेगा. इन सभी को पांच कैटेगरी में बांटा गया है.
- पहला ऑफिसर
- दूसरा चैंबर अटेंडेंट
- तीसरा संसद के सुरक्षाकर्मी
- चौथा संसद में कार्यरत ड्राइवर
- पांचवां दोनों सदनों में मौजूद रहने वाले मार्शल
- ऑफिसर श्रेणी के उन्हीं कर्मचारियों को नया ड्रेस पहनना होगा जो रोज कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं, मसलन दोनों सदनों के टेबल ऑफिसर, प्रोटोकॉल ऑफिस, संसद में मौजूद टेबल ऑफिस आदि में कार्यरत कर्मचारियों को नया ड्रेस पहनना होगा. जबकि पार्लियामेंट के सामान्य कर्मचारी जो जनरल वर्क में कार्यरत होते हैं उन्हें ये नहीं पहनना होगा. जैसे कमेटी में, लाइब्रेरी में, एनेक्सी बिल्डिंग के समिति कार्यालय आदि में कार्यरत कर्मचारियों को पहनने की बाध्यता नहीं होगी.
ड्रेस कोड के लिए बनी पांच अधिकारियों की कमेटी
नए संसद में नया ड्रेस कोड का प्रस्ताव पर काम 2022 में नए संसद भवन के निर्माण के साथ ही शुरू हो गया था. नए ड्रेस कोड को लेकर 2022 शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के 5 अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई थी. इस साल बजट सत्र के दौरान इसके लिए देश के सभी 18 NIFT को नए ड्रेस की डिजाइन तैयार करने को कहा गया. मई में NIFT के एक डिजाइन को पार्लियामेंट के अधिकारियों की कमेटी ने फाइनल किया.
नए ड्रेस को मई 2023 में तैयार करने का ऑर्डर दे दिया गया था ताकि जरूरत पड़ने पर विगत मानसून सेशन में इसका उपयोग किया जा सके. क्योंकि पहले चर्चा थी की मानसून सत्र के दौरान ही संसद को नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं इसलिए ड्रेस कोड भी लागू नहीं हुआ. हालांकि, ड्रेस कोड को लेकर सचिवालय के कोई भी अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि शिफ्टिंग के साथ ही ड्रेस कोड भी लागू हो जाएगा.