केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा बीजेपी ने कभी जातिगत जनगणना का विरोध नहीं किया है. बीजेपी ने तेलंगाना के चुनाव में OBC को सीएम बनाने की घोषणा की. हरियाणा में बीजेपी ने OBC नेता नायाब सिंह सैनी को अध्यक्ष बनाया. दिल्ली के बीजेपी ऑफिस में अमित शाह ने OBC पॉलिटिक्स पर लंबी बैठक की. अब ऐसी ही एक मीटिंग अगले हफ्ते लखनऊ में है. इन सभी फैसलों में एक कनेक्शन है. सबके केंद्र में है पिछड़े वर्ग की राजनीति. पार्टी के रणनीतिकार तय नहीं कर पा रहे हैं कि कास्ट सेंसस की विपक्षी मांग पर स्टैंड क्या हो! बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व धर्म संकट में है. बड़े नेता दुविधा में हैं. सवाल पचास से साठ प्रतिशत वोट का है.
अंग्रेजी में एक टर्म है कोर्स करेक्शन. बीजेपी अब यही कर रही है. जातिगत जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी शुरुआत में साइलेंट रही. जब भी विपक्ष ने मुद्दा उठाया तो बीजेपी कोई दूसरा मुद्दा पकड़ लेती थी. फिर बिहार में नीतीश सरकार ने जातिगत सर्वे करा दिया. सुशील मोदी जैसे नेताओं ने इसका स्वागत किया. वे तो कहने लगे कि इस फैसले में जेडीयू के साथ बीजेपी भी शामिल थी. बिहार के कुछ बीजेपी नेता सर्वे के तरीके में कमियां गिनने लगे. कुल मिला कर हालत ये रही कि बीजेपी के लिए ये मुद्दा न उगलते बना, न निगलते.
INDIA गठबंधन में ममता बनर्जी को छोड़ कर सभी नेता एक पेज पर हैं. राहुल गांधी तो जातिगत जनगणना का ब्रांड एंबेसेडर बनने को बेचैन हैं. ये वही कांग्रेस पार्टी है, जिसने जाति पर न पाति पर मुहर लगेगी हाथ पर के नारे दिए थे. लेकिन कांग्रेस ने समझ लिया है अब राजनीति बदल गई है. तो उसने क्षेत्रीय दलों के एजेंडा को ही अपना बना लिया है. अब राहुल गांधी जिस राज्य में जाते हैं, वहीं जातिगत जनगणना के वादे कर आते हैं. उन्हें लगता है कि ये मुद्दा पार्टी की सत्ता में वापसी करा सकती है.
बीजेपी ने ओबीसी को साधने का बनाया प्लान
INDIA गठबंधन के कोआर्डिनेशन कमेटी की पहली मीटिंग में जातिगत जनगणना का प्रस्ताव भी पास हो गया. बिहार की नीतीश सरकार ने जातिगत सर्वे की रिपोर्ट पेश कर एजेंडा सेट कर दिया है. छह नवंबर से शुरू हो रहे बिहार विधानसभा के सत्र में इस मुद्दे पर बहस होगी. कहा जा रहा है कि कास्ट सेंसस के साथ आर्थिक स्टेट्स वाली भी रिपोर्ट पेश की जा सकती है.
संसद से लेकर सड़क तक बीजेपी का स्टैंड रहा है कि विपक्ष फूट डालो और राज करो के फार्मूले पर है. जातिगत जनगणना के मुद्दे के बहाने वो लोगों को भड़का रही है. बीजेपी की तरफ से कहा जाता है कि उनके प्रधानमंत्री पिछड़े समाज से हैं. केंद्र सरकार में पिछड़े मंत्रियों की संख्या ज्यादा है. राज्यों की सरकार में भी यही आंकड़ा है. लेकिन तरह तरह के दावों के बावजूद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अब ये मान लिया है कि जातिगत जनगणना की अनदेखी नहीं की जा सकती है. इसीलिए पार्टी ने अब अपना लाइन लेंथ बदल लिया है.
बीजेपी के सहयोगी दल भी मुखर हो गए हैं. अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने भी जातिगत जनगणना की मांग की है. यहां बात सुहेलदेव समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर भी कह रहे हैं. लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों को अपने वोट बैंक को जोड़े रखने के लिए ये जरूरी भी है.
ओबीसी को लेकर बीजेपी ने की बैठक, बनी रणनीति
बीजेपी के हेड ऑफिस में विपक्ष के जातिगत जनगणना के मुद्दे से निपटने के लिए बैठक हुई. अमित शाह ने बिहार, यूपी और महाराष्ट्र से आए नेताओं से पूछा क्या करना चाहिए! तय हुआ है कि पिछड़ी जाति के वोटरों को टूटने नहीं देना है. मोदी और शाह की अगुवाई में बीजेपी अब तक इनका दिल जीतती रही है.
बीजेपी के 1996 में OBC के सिर्फ 19 प्रतिशत वोट मिले. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में ये आंकड़ा 34 फीसदी हो गया. साल 2019 में बीजेपी को 44% OBC वोट मिले. इस दौरान कांग्रेस का वोट शेयर गिरता रहा. हिंदुत्व और सोशल इंजीनियरिंग के दम पर बीजेपी पिछले नौ सालों से केंद्र में है. हैट्रिक लगाने के लिए बीजेपी को अब इस रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है.
क्योंकि INDIA गठबंधन की नजर अब बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग में टूट पर है. अगर ऐसा हुआ तो सीधा नुकसान बीजेपी का है. जनवरी से अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होना है. बीजेपी इसी बहाने अभी से हिंदुत्व का माहौल बना रही है. लेकिन विपक्ष के जातिगत जनगणना के जवाब में बीजेपी भी इसके समर्थन में आ गई है.