दिल्ली शराब घोटाले मे आरोपी मनीष सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की. मनीष सिसोदिया ने अपने जमानत के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार की मांग की. मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर को खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर निचली अदालत में ट्रायल मे देरी होती है तो सिसोदिया तीन महीने बाद जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं.
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट से इस आदेश की समीक्षा के लिए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से पुनर्विचार की अपील की है.
सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ थोक शराब डीलरों को 338 करोड़ रुपये के “अप्रत्याशित लाभ” की बात कही थी.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए कई आरोपों को बहस योग्य बताते हुए कहा था, हालांकि, पीएमएल अधिनियम के तहत दायर शिकायत में एक स्पष्ट आधार या आरोप है, जो प्रत्यक्ष कानूनी चुनौती से मुक्त है और कथित तथ्य सामग्री और साक्ष्य द्वारा अस्थायी रूप से समर्थित हैं.
मनीष सिसोदिया पर लगा है रिश्वत लेने का आरोप
इसमें सीबीआई के आरोप पत्र का हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि थोक वितरकों द्वारा अर्जित 7 प्रतिशत कमीशन/शुल्क की 338 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत परिभाषित अपराध है, जो एक लोक सेवक से संबंधित है.
पीठ ने कहा कि ईडी की शिकायत के अनुसार, 338 करोड़ रुपये की राशि अपराध की आय है. पीठ ने सीबीआई के आरोप पत्र से उल्लेख किया था कि अपीलकर्ता की साजिश और संलिप्तता” मनीष सिसौदिया अच्छी तरह से स्थापित हैं.
कथित बिचौलिये दिनेश अरोड़ा के सिसौदिया को 2.20 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के दावे के बारे में पीठ ने कहा था कि यह कोई आरोप या आरोप नहीं है, जो सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र में लगाया गया है और कथित भुगतान को ”आगे बढ़ना” मानना मुश्किल हो सकता है.
26 फरवरी को सिसोदिया हुए थे अरेस्ट
सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 26 फरवरी को “घोटाले” में उनकी कथित भूमिका के लिए अरेस्ट किया था. तब से वह लगातार जमानत की फरियाद कर रहे हैं, लेकिन जमानत नहीं मिल रही है. वह फिलहाल जेल हिरासत में हैं. उसके बाद उत्पाद शुल्क विभाग संभालने वाले सिसौदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो सितंबर 2022 को उसे रद्द कर दिया गया. आरोप लगा था कि नई नीति के तहत थोक विक्रेताओं का मुनाफा 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया और शराब लाइसेंस के लिए अयोग्य लोगों को मौद्रिक सुविधाएं दी गई. हालांकि दिल्ली सरकार और सिसोदिया ने इन आरोपों को खारिज किया था.