राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर बहस के दौरान अमित शाह ने एक बार फिर कांग्रेस और जवाहर लाल नेहरू को निशाने पर लिया. गृहमंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान के साथ हुए सीजफायर को लेकर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि यदि असमय सीज फायर नहीं होता तो आज पीओके नहीं होता. जवाहर लाल नेहरू दो दिन रुक जाते तो पूरा पीओके तिरंगे के तले होता.
अनुच्छेद 370 पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि आजादी के बाद हैदराबाद में कश्मीर से बड़ा प्रॉब्ल्म हुआ था, क्या वहां नेहरू गए थे? जूनागढ़, लक्षद्वीप, जोधपुर में नेहरू गए थे? वे सिर्फ कश्मीर का काम देखते थे और वह भी आधा छोड़कर आ गए. उन्होंने सवाल किया कि आखिर कश्मीर का विलय लेट क्यों हुआ? अमित शाह ने बताया कि इतिहास को चाहे 1 हजार फीट नीचे दबा दो, फिर भी सच्चाई बाहर आ ही जाती है. उन्होंने खुलासा किया कि विलय के दौरान एक व्यक्ति को विशेष स्थान देने का आग्रह किया गया था और वह थे शेख अब्दुल्ला इसीलिए विलय लेट हुआ. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इतने राज्यों का विलय हुआ, लेकिन कहीं भी 370 क्यों नहीं लगी? उन्होंने कहा कि देश की जनता को जवाब देना होगा कि ये शर्त किसने रखी थी और किसने स्वीकार किया था. इस सवाल से भाग नहीं सकते.
घोर पराजय में विजय ढूंढने की कला कोई कांग्रेस से सीखे
अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि घोर पराजय में विजय ढूंढने की कला तो कोई कांग्रेस से सीखे. आज सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को हटाया जाना संवैधानिक बता दिया, लेकिन कांग्रेस अभी भी कह रही है कि इसे गलत तरीके से हटाया गया. देश के दोनों सदनों ने कानून पारित किया, गजट जारी हुआ, किसी ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेज किया, पांज जजों की बेंच बनी, लंबी बहस हुई. फैसला आ गया. अब फैसले के बाद भी कांग्रेस कहती है कि वे इसे गलत तरीके से हटाना ही मानते हैं.
यह हिंदू-मुसलमान की बात नहीं
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस को वास्तविकता समझनी होगी. यह हिंदू मुसलमान की बात नहीं है. कश्मीर से ज्यादा मुसलमान गुजरात, उत्तर प्रदेश और असम में है, लेकिन वहां अलगाववाद नहीं हुआ. कश्मीर में अलगाववाद इसलिए हुआ क्योंकि वहां 370 थी. अलगाववाद की वजह से ही वहां आतंकवाद पनपा. उन्होंने कहा कि गलत फैसला हो जाता है, वह किसी भी व्यक्ति से हो सकता है, इसे मानना चाहिए, अभी भी अगर कांग्रेस इस फैसले ये चिपककर रही तो जितनी बची है तो उतनी भी नहीं रहेगी, 2024 में मुकाबला हो जाएगा.
कश्मीर विस्थापितों को पूरे देश ने गले लगाया
जम्मू कश्मीर में वर्षों से अलग-अलग प्रकार से ढेर सारे कश्मीरी हिंदू भाई, कश्मीरी पंडित, सिख, घाटी छोड़कर बिखर गए. राज्यों में इनकी आवभगत की गई, कुछ राज्यों ने आरक्षण भी दिया. जो भी कश्मीर से विस्थापित हुए उन्हें पूरे देश ने गले लगाया, लेकिन सोचिए जिनकी अरबों खरबों की संपत्ति थी उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर किया गया. ऐसे 46631 परिवार थे. मैं इन विस्थापितों से कहना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार न्याय देने के लिए संकल्पित है. अब कश्मीरी विस्थापित यहां वोट देंगे, चुनाव लड़ेंगे और मंत्री भी बनेंगे.
पीओके हमारा है, हमसे कोई नहीं छीन सकता
अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर के एसटी परिवारों के अधिकारों को 3 परिवारों ने रोका. वह बोले कि भारत की एक इंच जमीन की बात होगी तो हमारा तंग दिल रहेगा. किसी का अधिकार नहीं है कि देश का कोई भूभाग चला जाए और वह चुपचाप खड़ा रहे.