रोज म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। आज के समय में छोटे गांव के लोग भी म्यूचुअल फंड में सिप के जरिये निवेश कर रहे हैं। इन्वेस्टमेंट का यह नया ट्रेंड काफी तेजी से पॉपुलर हुआ है। हालांकि, अगर आप एक सर्वे करें और 10 लोगों से पूछे कि म्यूचुअल फंड है क्या? कैसे काम करता है? निवेश पर जोखिम कितना है? सिप कैसे फायदेमंद है? तो यकीन मानिए 4 लोग इन सवालों का जवाब नहीं दे पाएंगे। अगर आप भी उनमें शामिल हैं जो SIP तो कर रहे हैं लेकिन इसके प्रॉसेस को सही तरह से नहीं समझ रहे हैं तो यह गलती जल्द से जल्द सुधार लें। जबतक आप इन्वेस्टमेंट को सही से समझेंगे नहीं तब तक शानदार रिटर्न नहीं ले पाएंगे।
एसआईपी क्या और उसके फायदे
सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान या एसआईपी, निवेशकों, विशेष रूप से युवा, छोटे निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है। बहुत सारे लोग जो अपनी उच्च शिक्षा के लिए धन जुटाना चाहते हैं, सेवानिवृत्ति के लिए बचत करना चाहते हैं, या ट्रैवल ट्रिप पर जाना चाहते हैं, सिप कर रहे हैं। एसआईपी कई लाभ प्रदान करते हैं, जैसे:
कंपाउंडिंग का फायदा: समय के साथ कंपाउंडिंग का फायदा सिप में मिलता है। निवेश पर ज्यादा रिटर्न मिलता है।
एवरेजिंग का फायदा: अलग-अलग कीमतों पर सिप के जरिये निवेश करने से बाजार की अस्थिरता के प्रभाव को कम करता है।
अनुशासित निवेशक: लगातार सिप करने से एक निवेशक अनुशासित निवेशक बन जाता है।
- SIP में इन गलतियों से बचें
अपनी वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज न करें: SIP शुरू करने से पहले अपनी अपनी वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज न करें। अपनी इइनकम के अनुसार ही सिप की राशि तय करें। नहीं तो बाद में परेशानी का सामना करना होगा।
शॉर्ट टर्म का लक्ष्य: SIP की शुरुआत हमेशा लॉन्ग टर्म की सोच के साथ करें। शॉर्ट टर्म में आपको मनचाहा रिटर्न नहीं मिल सकता है।
डायवर्सिफिकेशन की कमी: अपना सारा पैसा एक ही फंड में लगाने से बचें। यह निवेश पर ज़्यादा जोखिम बढ़ाएगा। अगर आप अपने निवेश को डेट, इक्विटी और अन्य एसेट क्लास में संतुलित नहीं करते हैं, तो आपको कम रिटर्न का जोखिम उठाना पड़ सकता है।
चार्ज को जरूर देखें: सिप करने से पहले एक्सपेंस रेश्यो को जरूर चेक करें। उच्च एक्सपेंस रेश्यो से आपका रिटर्न कम हो सकता है। प्रवेश और निकास के साथ-साथ अतिरिक्त शुल्कों का भी ध्यान रखें।
पोर्टफ़ोलियो मूल्यांकन को नजरअंदाज न करें: अपने निवेशों की नियमित समीक्षा करते रहें। ऐसा नहीं करना नुकसान दायक होता है। फंड के प्रदर्शन और बाज़ार में होने वाले बदलावों को नज़रअंदाज़ करने से आपके रिटर्न पर असर पड़ सकता है।