हरियाणा में जिसने दिया बीजेपी का साथ कैबिनेट में रखा उसका मान, जाट-पंजाबियों को क्यों नहीं मिला उचित सम्मान?

हरियाणा में नायब सैनी के नेतृत्व में बीजेपी ने लगातार तीसरी बार सरकार बना ली है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ 13 अन्य मंत्रियों ने गुरुवार को शपथ ली. बीजेपी ने मंत्रिमंडल के जरिए जातीय समीकरण साधने के साथ सियासी संतुलन बनाने की कवायद की है. ऐसे में बीजेपी ने हरियाणा चुनाव में साथ देने वाली जातियों का कैबिनेट गठन में खास ख्याल रखा है. ओबीसी चेहरों को मंत्रिमंडल में विशेष तवज्जो दी गई है तो दलित और ब्राह्मण का भी मान रखा गया है, लेकिन जाट और पंजाबी समुदाय को पहले की ही तरह उचित सम्मान नहीं मिला?

हरियाणा में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने नायब सिंह सैनी ने अपनी टीम यानी मंत्रिमंडल का गठन कर लिया है. सैनी की कैबिनेट में सबसे ज्यादा पांच ओबीसी से मंत्री बनाए गए हैं तो उसके बाद दो ब्राह्मण, दो दलित और दो जाट समुदाय से मंत्री बनाए गए हैं. इसके अलावा पंजाबी, वैश्य और ठाकुर समुदाय से एक-एक मंत्री बनाए गए हैं. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ शपथ लेने वाले 13 मंत्रियों में 11 को कैबिनेट और दो को स्वतंत्र प्रभार का जिम्मा सौंपा गया है.

ओबीसी को आबादी के लिहाज से हिस्सेदारी
हरियाणा में बीजेपी ने ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया है. इसके अलावा यादव समुदाय से बादशाहपुर से विधायक राव नरबीर सिंह और अटेली से विधायक आरती सिंह राव शामिल हैं. गुर्जर समाज से तिगांव से विधायक राजेश नागर और प्रजापति समुदाय से बरवाला से विधायक रणबीर गंगवा को मंत्री बनाया गया है. मंत्रिमंडल में पांच ओबीसी मंत्री बनाएं जबकि पिछली बार ओबीसी से सिर्फ तीन मंत्री थे. हरियाणा में ओबीसी की आबादी 35 फीसदी है और इस बार मंत्रिमंडल में भी 35 फीसदी हिस्सेदारी दी गई है

बीजेपी का जाट बनाम गैर जाट नैरेटिव
हरियाणा चुनाव के दौरान बीजेपी की पूरी राजनीति ओबीसी के इर्द-गिर्द घूमती रही. जाट बनाम गैर जाट नैरेटिव होने का लाभ बीजेपी को मिला. चुनाव में ओबीसी वर्ग ने खुलकर बीजेपी का साथ दिया और तीसरी बार सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई. इसलिए बीजेपी ने कैबिनेट गठन में भी ओबीसी समाज को तवज्जो देकर इस बड़े वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश की है. यादव और गुर्जर समाज ने दक्षिण हरियाणा में खुलकर बीजेपी को समर्थन दिया.

दलित-ब्राह्मण को भी दिया कैबिनेट से संदेश
बीजेपी ने दलित नैरेटिव पर हरियाणा का चुनाव लड़ा था. कुमारी सैलजा की नाराजगी को पूरी तरह से भुनाने की कोशिश की. बीजेपी ने दलित वोट बैंक को जोड़े रखने के लिए मंत्रिमंडल में दो दलित चेहरों को शामिल किया है. इसराना से विधायक कृष्ण लाल पंवार और नरवाना से विधायक कृष्ण बेदी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. सैनी के पहले कार्यकाल में भी बनवारी लाल कैबिनेट और बिशम्बर वाल्मीकि राज्य मंत्री थे.

7 ब्राह्मण विधायकों में से 2 मंत्री बने
बीजेपी ने सात ब्राह्मण विधायकों में से दो को मंत्री बनाया है. गोहाना से विधायक अरविंद शर्मा और पलवल से विधायक बने गौरव गौतम को कैबिनेट में जगह दी गई है. ब्राह्मणों ने इस बार एकमुश्त होकर बीजेपी को वोट किया है, जिसके चलते उन्हें उचित हिस्सेदारी कैबिनेट में दी है. ठाकुर समाज को साधने के लिए रादौर से विधायक श्याम सिंह राणा को कैबिनेट मंत्री बनाया है और पिछली बार ठाकुर समाज संजय सिंह राज्यमंत्री थे. इस तरह ठाकुर और ब्राह्मणों को उनकी आबादी और चुनाव में साथ के लिहाज से बेहतर हिस्सेदारी सौंपी है.

पंजाबी-वैश्य-जाट को नहीं मिला उचित सम्मान
पंजाबी और वैश्य समुदाय बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है. इस बार के विधानसभा चुनाव में वैश्य समाज का एकमुश्त वोट बीजेपी के पक्ष में गया है. ऐसे में बीजेपी ने वैश्य समुदाय से आने वाले फरीदाबाद से विधायक विपुल गोयल को मंत्री बनाया है. पिछली बार वैश्य समाज से दो मंत्री थे, लेकिन इस बार एक ही मंत्री बनाया है. इसी तरह कैबिनेट में पंजाबी और जाट समाज का प्रतिनिधित्व घटा है. पंजाबी समाज से सिर्फ अनिल विज को कैबिनेट में जगह मिली है.

2014-2019 की तरह नहीं मिली हिस्सेदारी
मनोहर लाल खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री के अलावा अनिल विज पंजाबी समाज से आने वाले कैबिनेट मंत्री थे. इसके अलावा रोहतक से विधायक रहे मनीष कुमार ग्रोवर राज्य मंत्री थे. इसके बाद दूसरे कार्यकाल में मनोहर लाल के अलावा अनिल विज शामिल थे. नायब सिंह सैनी के पहले कार्यकाल में पंजाबी कोटे से सुभाष सुधा और सीमा त्रिखा को राज्य मंत्री बनाया गया था. इस बार पंजाबी समाज को 2014 और 2019 की तरह कैबिनेट में उचित हिस्सेदारी नहीं मिली.

जाट समुदाय से दो मंत्री बनाए गए
नायब सरकार में जाट समुदाय से दो मंत्री बनाए हैं. महिपाल ढांडा और तोशाम से विधायक बनीं श्रुति चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया है. पिछली बार जाट समाज से रणजीत चौटाला, जेपी दलाल और महिपाल ढांडा तीन मंत्री थे. इसके अलावा मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बनी 2019 की सरकार में जेजेपी से समर्थन के चलते जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व काफी था, लेकिन बार इस बार जाट समाज को कैबिनेट में सिर्फ दो जगह मिली है.

पंजाबी समुदाय की अनदेखी
हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय का बड़ा झुकाव कांग्रेस की तरफ रहा है, जिसके चलते कैबिनेट में उचित हिस्सेदारी नहीं मिली. ऐसे में जाट समाज के प्रतिनिधित्व कैबिनेट में घटने की वजह साफ समझी जा सकती है, लेकिन पंजाबी समाज से सिर्फ एक मंत्री बनाए जाने पर जरूर सवाल खड़े हो रहे हैं. हरियाणा में पंजाबी समुदाय बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है, लेकिन क्षेत्रीय बैलेंस बनाने के चलते माना जा रहा है कि पंजाबी समुदाय की अनदेखी की गई है.

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