ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा पर कसा शिकंजा, समन जारी कर पूछताछ के लिए कल दिल्ली बुलाया..

दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा को समन जारी कर कल दिल्ली के दफ्तर में बुलाया है। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय रॉबर्ट वाड्रा से ज़मीन खरीद फरोख्त मामले में पूछताछ करना चाहता है। वाड्रा पर एनसीआर और बीकानेर में ज़मीन खरीद फरोख्त को लेकर कथित धांधली और बेनामी संपत्ति रखने का आरोप है इसलिए नोटिस जारी कर दिल्ली के ईडी दफ्तर में कल उनसे पूछताछ की जाएगी।

इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने वाड्रा को मिली अग्रिम जमानत रद्द करने की प्रवर्तन निदेशालय की यचिका पर उनसे जवाब मांगा है। ईडी ने इस आधार पर उनकी जमानत रद्द करने की मांग की है कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे इसलिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। न्यायमूर्ति चन्द्रशेखर ने वाड्रा को अग्रिम जमानत देने के निचली अदालत के एक अप्रैल के फैसले को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर वाड्रा को नोटिस जारी किया।

अदालत ने इसी मामले में वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के कर्मचारी एवं मामले में सह-आरोपी मनोज अरोड़ा से भी जवाब मांगा है। ईडी ने उनकी अग्रिम जमानत भी रद्द करने का आग्रह किया है। ईडी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एजेंसी वाड्रा को हिरासत में लेना चाहती है क्योंकि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और निचली अदालत ने अपने फैसले में मामले की गंभीरता पर विचार नहीं किया है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा लंदन के 12 ब्रायनस्टन स्क्वायर में करीब 17 करोड़ रुपये की कीमत की संपत्ति खरीद मामले में धन शोधन के आरोपी हैं। इस मामले की जांच धनशोधन रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत की जा रही है। अदालत ने जब पूछा कि क्या ईडी वाड्रा को हिरासत में लेना चाहती है तो मेहता ने कहा, “हां, मेरा मामला यही है। हम उनकी हिरासत चाहते हैं।” साथ ही उन्होंने कहा कि वाड्रा जांच में सहयोग नहीं कर रहे।

उच्च न्यायालय ने यह भी जानना चाहा कि निचली अदालत के फैसले में क्या खामी थी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हर चीज विशेष न्यायाधीश को दिखाई गई लेकिन निचली अदालत के फैसले में उसने मामले की गंभीरता पर चर्चा नहीं की। मेहता ने तर्क दिया, “यह स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड किया गया लेकिन आदेश में कोई निष्कर्ष नहीं दिए गए। कार्य प्रणाली देखिए। हमें उनकी हिरासत चाहिए। इस स्तर पर हमें प्रथम दृष्टया मामला दिखाना होगा। ऐसा नहीं है कि किसी को उठा लिया गया हमारे पास उनके खिलाफ सबूत हैं।”

ईडी के अभियोजक डी पी सिंह के माध्यम से दायर याचिका में निचली अदालत के आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि विशेष न्यायाधीश कानून के स्थापित सिद्धांत पर विचार करने में विफल रहे कि जमानत “सामान्य तरीके से नहीं दी जानी चाहिए।” ईडी ने तर्क दिया कि अगर वाड्रा को जमानत की सुरक्षा मिली तो इस बात की संभावना है कि वह साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करें और मामले के प्रत्यक्षदर्शियों को प्रभावित करें। साथ ही कहा कि अदालत इस बात को नहीं समझ पाई कि वह अत्यंत प्रभावशाली व्यक्ति हैं।

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