दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने चार दिन बाद अपना आमरण अनशन तोड़ दिया है. शुक्रवार को आतिशी ने इस संकल्प के साथ आमरण अनशन शुरू किया था कि दिल्ली को जब तक हरियाणा की तरफ से एक हज़ार एमजीडी अतिरिक्त पानी नहीं दिया जाता है वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगी. उनके इस अनशन में उन्हें अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों का भी नैतिक समर्थन मिला. हालांकि लोकसभा चुनाव में साथ रहे कांग्रेस ने इस सत्याग्रह में उनका साथ नहीं दिया और दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने उनकी जम कर आलोचना की.
सोमवार देर रात जब आतिशी की तबीयत बिगड़ी तो उन्हें दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालांकि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा कि आतिशी डॉक्टरों की रिपोर्ट के बाद भी ICU में भर्ती थीं और डॉक्टर उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए थे. दोपहर बाद आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने जानकारी दी कि आतिशी का आमरण अनशन अब खत्म हो गया है और दिल्ली की जनता के लिए पानी की लड़ाई अब वो दूसरे तरीके में लड़ेंगे. संजय सिंह ने यह भी कहा कि पानी की स्थिति में 10 MGD तक की बढ़ोतरी बारिश के कारण हो गई है. आने वाले दिनों में इसमें और सुधार होगा लेकिन 100 MGD के कमी की पूर्ति कब तक हो पाएगी, यह जानकारी उन्होंने नहीं दी.
चार दिन के अनशन से दिल्ली की जनता को क्या मिला?
आतिशी की सेहत को देखते हुए सोमवार को ही डॉक्टर्स ने उन्हें अस्पताल में एडमिट होने की सलाह दी थी लेकिन उन्होंने इनकार करते हुए कहा था कि जब तक दिल्ली की जनता को पानी नहीं मिल जाता तब तक वो अनशन नहीं छोड़ेंगी. हालांकि उन्हें चौबीस घंटे के भीतर ही अनशन खत्म करना पड़ा. अब सवाल है कि इस चार दिन के सत्याग्रह और पानी के मुद्दे पर तमाम सियासी घमासान के बीच दिल्ली की जो 28 लाख जनता पानी की समस्या से त्रस्त है, उसे क्या हासिल हुआ? क्या उनकी कॉलोनियों में पानी की स्थिति सुधर गई? क्या टैंकर्स के सामने भीड़ लगनी बंद हो गई? क्या पर्याप्त पानी की आपूर्ति के लिए कोई समाधान निकल आया? क्या हरियाणा सरकार ने अतिरिक्त पानी छोड़ने की घोषणा कर दी? क्या दिल्ली सरकार केंद्र पर दबाव बनाने में सफल रही?
इन सभी सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिल सके हैं. बहरहाल दिल्ली के उस हिस्से को जो पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें कोई राहत मिलती नहीं दिख रही और स्थिति जस की तस बनी हुई है. इन चार दिनों में दिल्ली की तीन राजनीतिक पार्टियों के बीच केवल आरोप प्रत्यारोप की राजनीति ही चलती रही है. रविवार को जहां एक तरफ आतिशी पानी के लिए अनशन कर रही थी, तब आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना से मुलाक़ात करने भी पहुंचा था. एलजी से मिलने के बाद आम आदमी पार्टी नेताओं ने कहा कि एलजी के दिये सुझाव पर मिल जुल कर काम करने की सहमति बनी है और एलजी ने हरियाणा सरकार से बातचीत करने का आश्वासन भी दिया है. रविवार को ही दिल्ली राजभवन से जानकारी आई कि एलजी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से पानी के मुद्दे पर बातचीत की और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया है. लेकिन इसके बाद भी दिल्ली को रोज़ाना दिये जाने वाले पानी की मात्रा में कोई बढ़ोतरी अब तक नहीं हुई है.
पानी का संकट क्यों?
दिल्ली की जल मंत्री आतिशी के अनुसार देश की राजधानी अपने पानी की पूर्ति के लिये पड़ोसी राज्यों से आ रहे नदी और नहर के माध्यम से पानी पर निर्भर है. दिल्ली की प्रतिदिन खपत 1005 MGD है. बतौर आतिशी हरियाणा को इसमें 613 MGD पानी देना है लेकिन हरियाणा के केवल 513 MGD पानी ही छोड़ा जा रहा है. इसके कारण 100 एमजीडी की कमी हो रही है. एक एमजीडी पानी से 28000 लोगों के लिये जल आपूर्ति हो सकती है. इस तरह से 100 MGD की कम आपूर्ति होने के कारण दिल्ली के 28 लाख लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. बीजेपी दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहती है कि यह पानी की समस्या प्राकृतिक नहीं है. नई दिल्ली से नवनिर्वाचित सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि पानी की किल्लत केजरीवाल सरकार की एक साजिश है जिसके माध्यम से वह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुए टैंकर माफिया के वारे न्यारे करने का रास्ता बना रहे हैं. बतौर बांसुरी, दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी जमीन पर काम करने की बजाय नौटंकी करने में लगी हुई हैं और उन्होंने दिल्ली की जनता को अनशन की धमकी दी है.
कौन इलाके हैं सबसे ज्यादा प्रभावित?
दिल्ली के पूर्वी क्षेत्र में मयूर विहार के साथ लगने वाले चिल्ला गांव, ओखला के साथ संजय कॉलोनी और गीता कॉलोनी ऐसे इलाके हैं जहां पानी की सबसे ज्यादा किल्लत देखी जा रही है. लोग रोजाना टैंकर के इंतजार में लाइनों में खड़े होते हैं और टैंकर आते ही पाइप से पानी अपने ड्रमों, बाल्टियों और गैलनों में भरते देखे जाते हैं. इस भीड़ और धक्का मुक्की में सभी उम्र वर्ग के लोग शामिल होते हैं. दिल्ली के संगम विहार इलाके में भी हजारों लोग इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं. इसके अलावा वसंत विहार, पटेल नगर, महरौली, विकास पुरी, मोती नगर, छत्तरपुर, वसंत कुंज, चाणक्यपुरी, कृष्णा नगर और नरेला दिल्ली के तमाम ऐसे इलाके हैं जहां पानी की भारी किल्लत है. दिल्ली में बीते कुछ दिनों में बारिश तो हुई लेकिन इतनी बारिश दिल्ली में पानी की समस्या को दूर करने के लिये नाकाफी है. यमुना के पानी का वितरण दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों के बीच किस मात्रा में होना है यह यमुना रिवर बोर्ड द्वारा तय किया गया है और 1994 के बाद अब तक इसका नवीनीकरण नहीं हुआ है. आगे यह नवीनीकरण 2025 में अपेक्षित है.
अब आगे क्या करेगी आप?
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद ने मंगलवार को आतिशी के अनशन समापन की घोषणा करते हुए कहा कि वो आतिशी के अस्पताल में होने के बावजूद दिल्ली में पानी की किल्लत का मुद्दा उठाते रहेंगे. आम आदमी पार्टी के सभी जनप्रतिनिधि अब प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे. इसके अलावा वह संसद में भी इस मुद्दे को उठाएंगे और इसमें वह सभी विपक्षी पार्टियों का समर्थन भी मांगेंगे. मतलब स्पष्ट है कि दिल्ली के पानी की आपूर्ति हो न हो लेकिन इस पर सियासत अभी लगातार जारी रहेगी.
दूसरी तरफ आज दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि आतिशी का सत्याग्रह फेल होना ही था क्योंकि वह भूख हड़ताल की आड़ में अपनी ज़िम्मेदारियों से भाग रही थीं. इस तरह से सियासी वार पलटवार और आरोप प्रत्यारोप के बीच दिल्ली में पानी की समस्या वहीं की वहीं है और जनता समाधान की आस में कष्ट झेल रही है.