इटली रवाना होने से पहले PM मोदी ने बताया- किन मुद्दों पर होगी चर्चा, G-7 समिट में लेंगे हिस्सा

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 50वें जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली रवाना हुए। यहां वे दुनिया की सात बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के समूह G-7 की बैठक में हिस्सा लेंगे। इस शिखर सम्मेलन में भारत को एक आउटरीच देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। इस समिट में सात सदस्य देश- अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, इटली, जापान और फ्रांस के साथ-साथ यूरोपीय संघ भी भाग लेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां 15 जून तक रहेंगे। इस दौरान कई महत्वूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने वाली है।

नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। इटली रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा, “इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर मैं 14 जून को जी-7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली के अपुलीया क्षेत्र की यात्रा पर निकल रहा हूं।” पीएम ने कहा, “मुझे खुशी है कि लगातार तीसरे कार्यकाल में मेरी पहली यात्रा जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए इटली की है। मैं 2021 में जी- 20 शिखर सम्मेलन के लिए अपनी इटली यात्रा को गर्मजोशी से याद करता हूं।”

“अन्य नेताओं से मिलने के लिए भी उत्सुक”

पीएम मोदी ने कहा, “पिछले साल प्रधानमंत्री मेलोनी की दो भारत यात्राएं हमारे द्विपक्षीय एजेंडे में गति और गहराई लाने में सहायक रहीं। हम भारत-इटली रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और भारत-प्रशांत और भूमध्य सागरीय क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आउटरीच सत्र में चर्चा के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इनर्जी, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन और आगामी जी-7 शिखर सम्मेलन के परिणामों के बीच अधिक तालमेल लाने और उन मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का अवसर होगा, जो वैश्विक दक्षिण के लिए महत्वपूर्ण हैं। मैं शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य नेताओं से मिलने के लिए भी उत्सुक हूं।”

क्या है जी-7 समिट?

जी-7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं। वर्तमान में इटली इसकी अध्यक्षता कर रहा है। जी-7 में शामिल देश वर्तमान में वैश्विक जीडीपी का लगभग 45% और दुनिया की 10% से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। जी-7 को पहले जी-8 के नाम से जाना जाता था, पहले इसमें रूस भी शामिल था। हालांकि, रूस के क्रीमिया पर कब्जे के बाद रूस की सदस्यता खत्म हो गई।

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