विपक्षी एकता दलों की 18 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली अहम बैठक से ठीक पहले कांग्रेस ने इशारों-इशारों में समर्थन देने का संकेत दे दिया है. कांग्रेस संसदीय दल की रणनीतिक कमेटी की बैठक के बाद प्रभारी मीडिया महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि संघीय ढांचों पर प्रहार हो रहा है, संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है और ऐसा केंद्र सरकार राज्यपालों के जरिए कर रही है.
विपक्षी एकता की पटना में हुई बैठक के दौरान ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस से केंद्र सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश का विरोध करने की अपील की थी. बेंगलुरु में होने वाली बैठक से पहले भी केजरीवाल और आम आदमी पार्टी अपनी बात को दोहराती रही है.
दूसरी ओर कांग्रेस यही कहती आई कि, एक एक मुद्दा है, जब संसद में आएगा तो सभी सहयोगियों के साथ मिल बैठकर फैसला कर लेंगे, लेकिन विपक्षी बैठक 2024 के लिए है, ऐसे अलग-अलग मुद्दे पर हर दल इंश्योरेंस की मांग करने लगा तो विपक्षी एकता मुश्किल में आ जायेगी. जैसे उमर अब्दुल्ला ने 370 पर केजरीवाल को कटघरे में खड़ा किया.
केजरीवाल बैठक में नहीं जाते हैं तो भी हो सकती है मुश्किल
लेकिन केजरीवाल की ज़िद के चलते कांग्रेस ने इशारों में अपना रुख ज़ाहिर करके संकेत दिया है, जिससे बंगलुरू में केजरीवाल अगर बैठक में नहीं आते हैं तो तोहमत उन पर ही लगे. जयराम रमेश ने आगे कहा कि संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे हमले के हम खिलाफ है. हम इस पर चर्चा की मांग करेंगे.
बता दें कि बेंगलुरु में होने वाली बैठक में कुल 24 दल शामिल हो रहे हैं. बैठक में कांग्रेस पार्टी की ओर से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी शामिल हो सकते हैं. हालांकि, पटना की बैठक में केवल खरगे ही राहुल नजर आए थे. इस बार की बैठक की अगुवाई कांग्रेस कर रही है जबकि पिछली बैठक की अगुवाई नीतीश कुमार ने की थी.