छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर देर रात तक बड़ी बैठक चली. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में चुनाव से जुड़ी रणनीति के साथ-साथ उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई. बैठक में शाह के साथ-साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन मंत्री बीएल संतोष, प्रभारी ओम प्रकाश माथुर और सह प्रभारी मनसुख मंडाविया भी शामिल थे.
जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्री के आवास पर हुई इस बैठक में छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष अरुण साव सहित राज्य कोर कमेटी के कई अन्य नेता भी मौजूद रहे. यह बैठक बुधवार शाम को होने वाली बीजेपी की राष्ट्रीय चुनाव समिति की बैठक से ठीक एक दिन पहले हुई है. इस बैठक से ठीक पहले करीब दो दर्जन उम्मीदवारों के नामों की स्क्रीनिंग होनी है.
राष्ट्रीय चुनाव समिति की बैठक में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ मध्य प्रदेश में बीजेपी उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा होगी और किसे मैदान में उतारना है उसके नाम पर मुहर लगाई जाएगी. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है जबकि राज्यों में अभी तक चुनाव का ऐलान भी नहीं हुआ है.
चुनाव से पहले बीजेपी ने बदल दी है अपनी रणनीति
दरअसल, कर्नाटक चुनाव में हुए सियासी नुकसान से सीख लेते हुए बीजेपी पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किया है. रणनीति में यह बदलाव छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में देखने को भी मिला है. जहां, बीजेपी अपनी कमजोर सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा चुनाव से पहले ही कर दे रही रही. बीजेपी छत्तीसगढ़ में 19 और मध्य प्रदेश में 39 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है.
कर्नाटक में हो चुका है बड़ा नुकसान
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद बीजेपी को अपनी रणनीति में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. राज्य में इस साल हुए चुनाव में बीजेपी ने आखिरी वक्त में कुछ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया था. ऐसे में उम्मीदवारों को जनता के बीच में पहुंचने और चुनाव प्रचार करने का पर्याप्त मौका नहीं मिल पाया था. अगर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान पहले हो जाता है तो ऐसे में उन्हें चुनाव प्रचार करने के साथ-साथ रणनीति बनाने का भी भरपूर मौका मिल जाएगा.