कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ओबीसी आरक्षण और जातीय जनगणना की मांग उठा रहे हैं, लेकिन हाल में जो संगठन घोषित हुआ उसमें खुद उनकी पार्टी में मुस्लिम समाज के पिछड़ों को जगह नहीं मिली है. हालांकि अब पार्टी कह रही है कि त्रुटी में सुधार किया जा रहा है.
पार्टी सुधार रही अपनी गलती
राहुल गांधी ने कर्नाटक में जिसकी जितनी संख्या, उसका उतना हक का नारा देकर जातीय जनगणना कराने और आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा करने की मांग की, जिसे वो अब लगातार उठाते आए हैं, लेकिन उसके बाद घोषित हुए पार्टी संगठन में मुस्लिम समाज में पिछड़े वर्ग को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया. पार्टी की सबसे अहम कार्यसमिति हो, केंद्रीय चुनाव समिति हो या पार्टी के महासचिव हों, जिन मुस्लिम नेताओं को जगह मिली वो सब अगड़े समाज से हैं.
संगठन में महासचिव तारिक अनवर, कार्यसमिति और केंद्रीय चुनाव समिति में सलमान खुर्शीद, गुलाम अहमद मीर, तारिक अहमद कर्रा, सैय्यद नासिर हुसैन हैं. ऐसे में सवाल पूछने पर कांग्रेस का कहना है कि ये त्रुटि है, जिसका सुधार किया जा रहा है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि हम मानते हैं कि ये त्रुटि है जिसमें सुधार किया जा रहा है, हम बीजेपी की तरह नहीं हैं. हम निरन्तर सुधार में यकीन रखते हैं.
वैसे राहुल गांधी ही नहीं तमाम दलों की तरह कांग्रेस भी चुनावों में पिछड़े मुस्लिमों और पसमांदा समाज की हितैषी होने का दावा करते हैं. इस वक्त तो राहुल जब पिछड़ों को लेकर खासे मुखर हैं तो कांग्रेस में उस समाज का प्रतिनिधित्व नहीं होना सवाल खड़े करता है.
ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर क्या बोलते आए हैं राहुल
राहुल गांधी इन दिनों एक मुद्दा उठाए हुए हैं और वो है ओबीसी आरक्षण का. राहुल गांधी ने कहा, 90 केंद्रीय सचिवों में से सिर्फ 3 ओबीसी हैं. जब मैंने ये आकड़ा देखा मैं हिल गया. मुझे ये विश्वास नहीं हुआ. देश को पता चलना चाहिए कि हमारे ओबीसी भाई कितने हैं. नरेंद्र मोदी जी कहते हैं हमने OBC को विधानसभा में डाला है. आप बताइए बजट बनाने में ओबीसी का क्या योगदान है. सरकार चलाने में उनकी क्या भागीदारी है