देश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें रेप के आरोपी सजा से बचने के लिए पीड़िता से शादी कर लेते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस तरह के मामलों पर चिंता जताई है. कोर्ट ने बताया कि ऐसे कई मामले देखे गए हैं जिसमें आपराधिक मामलों से बचने के लिए आरोपी रेप पीड़िता से शादी कर लेते हैं और जब हालात सामान्य हो जाते हैं तो उन्हें छोड़ देते हैं.
दरअसल कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान ये बात कही. इस मामले में मोहम्मद अमान नाम के एक शख्स ने मुस्लिम नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे. बाद में वो प्रेग्नेंट हो गई तो बवाल खड़ा हो गया. आरोपी के खिलाफ रेप केस दर्ज कर दिया गया. क्रिमिनल चार्जेज से बचने के लिए आरोपी ने पीड़िता से शादी करने का फैसला किया. दोनों की शादी हो गई तो आरोपी के वकील ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि क्योंकि अब उनके मुवक्किल और पीड़िता के बीच समझौता हो गया है और वो दोनों खुशी से रह रहे हैं तो आरोपी के खिलाफ रेप केस खारिज कर दिया जाना चाहिए.
रेप केस खारिज करने से हाई कोर्ट का इनकार
जस्टिस स्वर्ण कांता ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए रेप केस खारिज करने से साफ मना कर दिया और कहा कि ये चिंता का विषय है. इस तरह के मामलों में एक परेशान करने वाला पैटर्न देखा जा रहा है जिसमें आरोपी उसके खिलाफ दायर सभी मामलों से बाहर आने के लिए पीड़िता से शादी करता है, और जब केस खारिज हो जाता है तो पीड़िता को छोड़ दिया जाता है.
डीएनए टेस्ट से सच्चाई सामने आने का डर
जस्टिस स्वर्ण कांता ने कहा, ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें रेप पीड़िता के प्रेग्नेंट हो जाने पर आरोपी ये सोचकर उससे शादी कर लेता है कि डीएनए टेस्ट से वो बच्चे का बायोलॉजिकल फादर साबित हो जाएगा. वहीं पीड़िता से शादी के बाद जैसे ही मामले का निपटारा होता है, वो कुछ ही महीनों में उसे छोड़ देता है.
कोर्ट ने कहा कि ये तो साफ है कि यौन उत्पीड़न की ये घटना साल 2021 की है. इसमें पीड़िता प्रेग्नेंट हो गई तो सामाजिक दबाव के चलते पीड़िता की मां ने आरोपी से उनकी बेटी से शादी करने का दबाव बनाया. इस दौरान, इस बात पर कोई विवाद नहीं था कि पीड़िता नाबालिग थी.