महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने मंगलवार 2 अगस्त को कहा कि लोगों द्वारा चुने जाने के लिए उन्हें चुनाव चिन्ह (Election Symbol) की जरूरत नहीं है. शिदें ने कहा, “किसने धोखा दिया? हमने या किसी और ने? हमने एक बार फिर शिवसेना का प्राकृतिक गठबंधन बनाया और यह सरकार लोगों की सरकार है.” बता दें शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray), जिनकी गठबंधन सरकार शिंदे की बगावत के बाद जून में गिर गई थी अब शिंदे उनके समर्थकों को “गद्दार” या देशद्रोही कहते हुए निशाना साध रहे हैं.
एकनाथ शिंदे ने कहा, “मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में बहुत काम किया है. इतना कि मुझे लोगों द्वारा चुने जाने के लिए चुनाव चिन्ह की आवश्यकता नहीं है.”
‘सरकार में जो हो रहा था वह असहनीय था’
पुणे (Pune) में एक रैली में बोलते हुए, एकनाथ शिंदे ने कहा, “सरकार सत्ता में आई और हमारी पार्टी के प्रमुख मुख्यमंत्री बने. हम सभी काम पर उतर गए. इस बीच, लोग मुझसे मिलने आते थे क्योंकि कुछ लोगों (उद्धव ठाकरे) के पास समय नहीं था, उनसे मिलने के लिए. हमारे लोगों को भुगतना पड़ा, सरकार में जो हो रहा था वह असहनीय था.”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि, आगामी चुनावों में, शिवसेना के पास केवल उतने ही विधायक होते जितने की उंगलियों पर गिने जा सकते हों. शिवसेना को समाप्त करने के प्रयास जारी थे, लोगों को जेल में डाला जा रहा था और उन्हें खुद को बचाने के लिए अपनी पार्टियों में शामिल होने के लिए कहा जा रहा था.”
शिंदे ने साधा उद्धव ठाकरे पर निशाना
शिंदे ने अपने समर्थकों और नेताओं को मिलने का समय नहीं देने के लिए उद्धव ठाकरे की आलोचना की. एकनाथ शिंदे ने पूछा, “बालासाहेब (Balasaheb Thackeray) के साथ काम करने वाले वरिष्ठ नेताओं (Senior Leaders) को भी वर्षा बंगले से वापस जाना पड़ा. ऐसी शक्ति का क्या उपयोग है?”