वैसे तो हिंदू धर्म शास्त्रों में खंडित मूर्ति या शिवलिंग के पूजा का विधान नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक खंडित शिवलिंग की करीब 300 सालों से पूजा होती आ रही है. इस खंडित रूप में ही इन तीन सौ सालों से भोलेनाथ अपने श्रद्धालुओं का कल्याण कर रहे हैं. यहां इस खंडित शिवलिंग को घायल महादेव या बुढे महादेव के नाम से पूजा जाता है. सावन के इस चौथे सोमवार को हम सुनाने जा रहे हैं गाजीपुर के मुगलपुरा में 17वीं शदी से विराजमान घायल महादेव के मंदिर की कहानी.
गाजीपुर शहर में सदर कोतवाली इलाके के मुगलपुरा ईलाके में भोलेनाथ का यह मंदिर गंगा तट पर है. यहां मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान शिव लिंग का कुछ भाग कटा हुआ है. स्थानीय लोगों के मुताबिक 17वीं शताब्दी में मुगलों का राज था. उस समय इस स्थान पर खेती होती थी. एक दिन खेती करते समय किसान का फावड़ा जमीन के अंदर किसी ठोस वस्तु से टकराया. जोर की आवाज हुई और वह पूरा स्थान से खून की धार फूट पड़ी. मौके पर मौजूद लोगों ने मिट्टी हटाकर देखा तो अंदर एक शिवलिंग पड़ा था. इस शिवलिंग के जिस हिस्से पर फावड़ा लगा था, उस स्थान से खून निकल रहा था.
सपने में आए थे भोले नाथ
यह देखकर लोग सशंकित हो गए. उन्हें अनिष्ठ का डर सताने लगा. कहा जाता है कि उसी रात भोले नाथ किसान के सपने में आए और इस स्थान पर मंदिर बनाने को कहा. अगले दिन किसान ने यह बात गांव वालों को बताई और फिर सभी लोगों ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया. तब से यहां भोलेनाथ की पूजा घायल महादेव के नाम से हो रही है. इस मंदिर में भोलेनाथ का सावन में विशेष श्रृंगार होता है. खासतौर पर सावन के महीने में दूर दूर से भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते हैं और जलाभिषेक कर पूण्य लाभ प्राप्त करते हैं. वहीं किसी के घर में कोई शुभ कार्य होता है तो लोग सबसे पहले इस मंदिर में इस मंदिर में आकर भोले नाथ की पूजा करते हैं.