उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में शिक्षकों के जाति सूचक तानों से परेशान होकर 10वीं की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली. लेकिन मुकदमा दर्ज होने के कई दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. छात्रा ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था. जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसके इंटर कॉलेज की टीचर्स जाति सूचक शब्द बोलती थीं और गरीबी के ताने देतीं थीं. छात्रा ने नोट में एक शिक्षिका पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था.
पीड़ित परिवार का आरोप है कि पहले तो पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया, लेकिन एसपी के दवाब के बाद जब केस दर्ज किया तो अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. पीड़ित परिवार डरा सहमा हुआ है. छात्रा की मां का कहना है कि कार्रवाई न होने से वे लोग डरे हुए हैं और घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.
जाति सूचक शब्द से मानसिक यातना
मामला बाराबंकी शहर के अजीमुद्दीन अशरफ इस्लामिया इंटर कॉलेज का है. छात्रा के पिता की पहले ही हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है. मां किसी तरह दो बेटियों को पढ़ा रही थी. पुलिस केस के मुताबिक यहां पढ़ने वाली 10वीं की एक छात्रा जाति सूचक टिप्पणी से परेशान थी. छात्रा ने सुसाइट नोट में पूरे मामले की कहानी लिख दी. उसने लिखा कि स्कूल में उसे मानसिक यातना दी गई.
अंत में जिले के एसपी से शिकायत
पीड़ित परिवार ने पूरे मामले में बीते मंगलवार को एसपी दिनेश कुमार सिंह से कार्रवाई की गुहार लगाई. एसपी के निर्देश पर नगर कोतवाली पुलिस ने इंटर कॉलेज की दो शिक्षकों पर केस दर्ज किया. लेकिन उसके बाद से पुलिस का केवल आश्वासन ही मिल रहा है, कोई कार्रवाई नहीं की गई है. ऐसे में पीड़ित परिवार को किसी अंजाम का खौफ सता रहा है. मां के साथ उसकी छोटी बेटी है, डर से उसने भी स्कूल जाना बंद कर दिया है.