प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को हुए उमेश पाल हत्याकांड की आड़ में विपक्ष ने जिस तरह से विधानसभा में शोर-शराबा कर योगी सरकार को घेरने की कोशिश की थी. वक्त के साथ लगता है अब वो सब किया धरा विरोधियों पर ही भारी पड़ता जा रहा है. महज एक अदद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विधानसभा में किए गए वादे के चलते, जिसमें उन्होंने चैंलेज देकर कहा था कि जो लोग माफियाओं को पालते-पोसते हैं वे ही लोग अब उमेश पाल जैसे हत्याकांडों पर सरकार को सूबे में बदतर लॉ एंड ऑर्डर खराब होने की आड़ में घेरना चाहते हैं. अगर ऐसा ही है तो फिर देख लीजिए इन माफियाओं को मिट्टी में मिला दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में उस खुले चैलेंज को दिए हुए और उमेश पाल हत्याकांड को बीते करीब चार महीने बीत चुके हैं. इस दौरान जिस तरह से सड़क पर उतर कर योगी की पुलिस ने और सूबे की अदालतों ने माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोला है. उसे देखकर अब उन्हीं विरोधियों को सांप सूंघ गया है, जिनके ऊपर आरोप था अतीक-अशरफ, मुख्तार से माफियाओं को पालने-पोसने का. और जो उमेश पाल हत्यााकांड की आड़ लेकर सूबे में कमजोर कानून व्यवस्था की दुहाई देकर विधानसभा में घेरना चाह रहे थे, सूबे की मौजूदा सल्तनत को.
उमेश पाल हत्याकांड के बाद उसके बदले में जो कुछ हुआ जमाने के वो सब सामने हैं. प्रयागराज पुलिस ने सबसे पहले तो उमेश पाल हत्याकांड के चंद दिन बाद ही उस खूनी कांड में शामिल रहे एक शूटर को प्रयागराज में ही गोलियों से भून डाला. उसके बाद अतीक अहमद के बेटे पांच लाख के इनामी असद खान को, उमेश पाल हत्याकांड में शामिल रहे शूटर गुलाम को, यूपी एसटीएफ ने 13 अप्रैल 2023 को झांसी में एनकाउंटर में ढेर करके, उमेश पाल हत्याकांड में हुई किरकिरी का हिसाब बराबर कर लिया.
झांसी के उस खूनी कांड को हुए ब-मुश्किल दो ही दिन बीते होंगे कि प्रयागराज के अस्पताल में, पुलिस के पहरे में रात के अंधेरे में अतीक और अशरफ गुंडा बद्रर्स का जो रूह कंपा डालने वाला अंत जमाने ने देखा, उसे यहां दोहराने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, अतीक और अशरफ के 15 अप्रैल 2023 की रात कत्ल होने से पहले ही, अतीक अहमद को 28 मार्च को उमेश पाल अपहरण कांड में प्रयागराज कोर्ट उम्रकैद की सजा मुकर्रर कर चुकी थी.
कह सकते हैं कि जिस उमेश पाल हत्याकांड में सूबे में कमजोर कानून व्यवस्था का विलाप करके विधानसभा में विपक्ष योगी और उनकी हुकूमत को घेरने की जुगत में था. वो दांव इस कदर का उल्टा पड़ गया कि योगी की पुलिस ने एक उमेश पाल हत्याकांड में बिछी तीन लाशों के बदले (उमेश पाल और उनके दो पुलिस सुरक्षाकर्मी) अतीक के बदमाश बेटे सहित चार और लाशें बिछाकर आगे-पीछे का सब हिसाब बराबर कर दिया.
इत्तेफाक से अभी अतीक अहमद को दूसरे मामले में कोर्ट सजा मुकर्रर कर पाता उससे पहले ही, अतीक अहमद और उसका गुंडा भाई अशरफ को तीन नौसिखिए लड़कों ने निपटा दिया. मतलब उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक एंड गुंडा कंपनी में अतीक सहित कुल जमा 6 लाशें बिछा दी गईं. एक साथ आगे पीछे इतनी लाशें देखकर, उस विपक्ष की घिग्गी बंध गई जो, उमेश पाल हत्याकांड के बाद विधानसभा में सूबे की सल्तनत को, राज्य में कमजोर कानून व्यवस्था की दुहाई देकर घेरने की तैयारी में था. बहरहाल, यह तो बात रही उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक, अशरफ और चार अन्य की लाशें बिछा दिए जाने की बात.
61 मोस्ट वॉन्टेड की बनाई गई थी लिस्ट
उमेश पाल हत्याकांड के बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो वादा राज्य की जनता से भरी विधानसभा में किया था कि उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने वालों को मिट्टी में मिला देंगे. सो मिला दिया या कहिए वे (अतीक और अशरफ) खुद ही मिट्टी में मिल गए. इस सब खून-खराबे के बाद सूबे की पुलिस ने राज्य भर में मौज काट कर खा कमा रहे मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की काली सूची तैयार की. सूची में 61 नाम दर्ज किए गए. तय यह हुआ कि अब इन माफियाओं को किसी भी कीमत पर इस काबिल नहीं छोड़ा जाएगा कि वे कहीं किसी को धमकाकर या फिर कत्ल-ए-आम करके गुंडई के बलबूते खाने-कमाने के काबिल रह सकें.
इन 61 मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की लिस्ट छोटी करने के लिए यूपी एसटीएफ ने 4 मई 2023 को सबसे पहले मेरठ में जा घेरा, अपनी 25वीं वर्षगांठ वाले दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना को. चंद सेकेंड की उस खूनी मुठभेड़ में अनिल दुजाना शांत कर दिया गया. उसके मरते ही मोस्ट वॉन्टेड की काली सूची में बाकी बचे 60 मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं में अपनी जान बचाने को लेकर खलबली मच गई. हालांकि, उस खलबली का कोई फर्क यूपी पुलिस पर न पड़ना था न पड़ा. जिसका नतीजा यह रहा कि 2 जून 2023 को गाजियाबाद पुलिस ने मुरादनगर इलाके में, 50 हजार के इनामी गैंगस्टर विशाल चौधरी उर्फ मोनू को एनकाउंटर में मार गिराया.
मोनू के एनकाउंटर की चर्चाएं अभी शांत नहीं हुई थीं. तब तक बुधवार यानी 7 जून 2023 को, दोपहर बाद लखनऊ कोर्ट में दिन के उजाले में पुलिस के पहरे में, विजय यादव नाम के बदमाश ने, जेल से कोर्ट पेशी पर लाए गए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खतरनाक गैंगस्टर शूटर, संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा को गोलियों से भूनकर निपटा दिया. इस गोलीकांड में एक बच्ची और एक पुलिसकर्मी को भी गोली लगी है. बहरहाल, जो भी हो उमेश पाल मर्डर के बाद जिस तरह या तीव्र गति से, एक के बाद एक माफिया डॉन निपट रहे हैं या फिर निपटाए जा रहे हैं. वो सब अपने आप में सूबे की सल्तनत के सामने अब आइंदा विपक्ष को इस बिनाह पर तो मुंह खोलने के काबिल नहीं छोड़ रहा है कि सूबे में कानून व्यवस्था पंगु है. क्योंकि चार महीने में 12 माफियाओं का निपटना, इस बात का साफ संदेश है कि, कुछ भी हो जाए अब चैन से सिर्फ पुलिस, कानून और जनता ही जी सकेगी, न कि अपराधी.
इन सब हालातों में एक अहम सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इस सबका पॉलिटिकल माइलेज आइंदा योगी आदित्यनाथ और उनकी सल्तनत को मिलेगा? इस बारे में टीवी9 ने बात की यूपी पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस आर के चतुर्वेदी से. उन्होंने कहा, “सूबे में इस वक्त माफियाओं के खिलाफ जो कुछ हो रहा है चल रहा है. वो न केवल सरकार या सिर्फ मुख्यमंत्री के हितार्थ है, इससे सबसे ज्यादा पुलिस और जनमानस शांति में होगा. ऐसे में किसी सूबे की सरकार को यह कोई मायने नहीं रखता है कि उसे पॉलिटिकल माइलेज मिलेगा या नहीं. वैसे अगर बात सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मौजूद सरकार को पॉलिटिकल माइलेज अगर, बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मिलता है. तो भी इसमें तो गलत कुछ नहीं है. जो अच्छा काम करेगा वही इनाम-इकराम का भी हकदार भी होना चाहिए.”