जिस बंगले में 19 साल रहे राहुल, उसे लेने से क्यों किया इनकार… शुभ-अशुभ का खेल?

साल 2004 में राहुल गांधी जब पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए तो उन्हें लुटियन्स दिल्ली के तुगलक लेन में 12 नंबर का बंगला अलॉट किया गया. 12 तुगलक लेन का यह बंगला मंत्रियों के लिए बनाया गया था. मगर, एसपीजी का हवाला देते हुए मनमोहन सरकार ने इसे राहुल को आवंटित किया था.

19 साल तक राहुल 12 तुगलक लेन के इस बंगले में रहे. राहुल ने इसी बंगले से 21वीं शताब्दी में कांग्रेस के उत्थान से लेकर पतन तक का दौर देखा, लेकिन अब 19 साल बाद राहुल ने इस बंगले को लेने से मना कर दिया है.

राहुल ने ठुकराई विभाग की पेशकश
राहुल गांधी के लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद हाउसिंग विभाग उनके लिए बंगला अलॉट करने में जुटा है. नेता प्रतिपक्ष का पद मंत्री के बराबर माना जाता है, इसलिए उन्हें कैटेगरी-8 का बंगला दिया जाना था.

सूत्रों के मुताबिक लोकसभा की हाउसिंग विभाग ने राहुल को पहले 12 तुगलक लेन का बंगला ही ऑफर किया. अधिकारियों का कहना था कि आप इसी बंगले में रहे हैं, इसलिए इसे आप ले सकते हैं, लेकिन राहुल ने वास्तु को आधार बताते हुए इस ऑफर को ठुकरा दिया.

राहुल ने अधिकारियों से कहा कि इसके प्रवेश/निकास द्वार वास्तु के नियमों पर खरा नहीं उतरता है, इसलिए इसे हम नहीं लेंगे. राहुल को विभाग के अधिकारियों ने इसके बाद सुनहरी बाग के 5 नंबर का बंगला ऑफर किया. राहुल ने अभी इस बंगले पर भी सहमति नहीं दी है. हालांकि, शुक्रवार को उनकी बहन प्रियंका गांधी इस बंगले को देखने पहुंची थीं.

क्या राहुल के लिए अशुभ साबित हुआ बंगला
राहुल गांधी जब तुगलक लेन वाले बंगले में आए तो उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी. राहुल 10 साल तक सत्ता में रहने के दौरान इस बंगले में रहे. मनमोहन सिंह की सरकार में 12 तुगलक लेन को कांग्रेस का पावर सेंटर कहा जाता था, लेकिन 2014 के बाद कांग्रेस लगातार हारती चली गई.

2019 में राहुल के अध्यक्ष रहते कांग्रेस बुरी तरह हार गई. राहुल इसके बाद अध्यक्ष पद से हट गए. 2023 में राहुल की सदस्यता चल गई और लोकसभा ने उनका बंगला छीन लिया. राहुल इसके बाद अपनी मां सोनिया के साथ 10 जनपथ में रहने लगे.

राहुल के लिए 10 जनपथ में रहना लकी साबित हुआ. 2024 के चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई. लोकसभा में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद मिल गया.

कहां हैं सुनहरी बाग का बंगला नंबर-5
यह बंगला भी लुटियन्स दिल्ली में है और एनडीएमसी के अधीन आता है. यह संसद से मात्र 2.5 किमी की दूरी पर है. लोकसभा के हाउसिंग विभाग के मुताबिक उसके पास कुल 8 टाइप के बंगले हैं.

टाइप 1 से लेकर टाइप 4 तक का बंगला सरकारी कर्मचारियों को अलॉट किया जाता है. टाइप 5 से लेकर टाइप 7 तक का बंगला सांसदों को मिलता है. यह वरिष्ठता के आधार पर अलॉट किया जाता है. टाइप 8 का बंगला केंद्रीय मंत्री, पूर्व पीएम, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के जजों को आवंटित किया जाता है.

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