आदिवासी बहुल इलाकों में खर्च होंगे 52 हजार करोड़, PM गति शक्ति की बैठक में 6 परियोजनाओं का प्रस्ताव

केंद्र सरकार के पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत 56वीं नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की बैठक में छह परियोजनाओं के प्रस्ताव रखे गए, जिनमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की चार और रेल मंत्रालय की दो परियोजनाएं शामिल हैं. इनकी कुल लागत लगभग 52 हजार करोड़ रुपये है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने लगभग 45000 हज़ार करोड़ की चार सड़क परियोजनाएं प्रस्तुत की हैं, जिसमे पहला गुजरात और महाराष्ट्र में स्थित एक ग्रीनफील्ड रोड है.

इससे गुजरात के नवसारी और महाराष्ट्र के नासिक और अहमदनगर जिलों में औद्योगिक बेल्ट को मजबूत करने के साथ कृषि और पर्यटन क्षेत्र को और विकसित करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा नवसारी, वलसाड और नासिक जैसे आदिवासी जिलों में रहने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक विकास भी इस परियोजना से संभव होगा. दूसरी ग्रीनफील्ड रोड परियोजना भी गुजरात के बनासकांठा, पाटन, महेसाणा, गांधीनगर और अहमदाबाद जिले को जोड़ते हुए अमृतसर-जामनगर इकनोमिक कॉरिडोर को अहमदाबाद और वडोदरा से जोड़ेगी.

पटना-आरा-सासाराम कॉरिडोर
इसमें प्रस्तावित तीसरी सड़क परियोजना बिहार के लिए है. जिसमें भारतमाला परियोजना के तहत पटना-आरा-सासाराम कॉरिडोर के 4 लेन का निर्माण शामिल है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को उम्मीद है कि इससे आदिवासी क्षेत्रों सहित वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों में सामाजिक-आर्थिक विकास होगा.

अंतरराज्यीय कनेक्टिविटी में सुधार
पीएम गतिशक्ति की बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि यह परियोजना मौजूदा मार्ग और यात्रा समय को कम करके लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करने में मदद करेगी, और यूपी से आने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के माध्यम से झारखंड और पटना की ओर जाने वाले यातायात के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. इसके अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच अंतरराज्यीय कनेक्टिविटी में सुधार करने के लिए भी जरुरी कदम उठाये जाने पर महत्वपूर्ण चर्चा की गई.

ग्रीनफील्ड रेलवे लाइन परियोजना
बैठक के दौरान ओडिशा और छत्तीसगढ़ के लिए एक-एक रेलवे परियोजनाओं का आंकलन भी किया गया है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 6700 करोड़ रुपए है. पहला ग्रीनफील्ड रेलवे लाइन परियोजना ओडिशा के गंजम, नयागढ़, खंडमाल, बौध, संबलपुर और अंगुल जिलों से गुजरते हुए पश्चिमी ओडिशा के औद्योगिक और खनिज समूहों को पूर्वी तट बंदरगाह से जोड़ेगा.

ए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अवसर
इसके अलावा पूर्वी छत्तीसगढ़ के औद्योगिक समूहों को पूर्वी तट के साथ एक छोटी बंदरगाह कनेक्टिविटी भी मिलेगी. इस रेलवे लाइन से कंधमाल और बौध जिलों के आदिवासी इलाकों में समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास आने की उम्मीद है और प्रस्तावित लाइन के साथ नए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए अवसर भी खुलेंगे, जबकि देश के आदिवासी और उग्रवाद प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को इन परियोजनाओं के जरिये मुख्यधारा में आने में मदद मिलेगी.

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