वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी (WhatsApp New Privacy Policy) आग के अंदर खुद को झोंकने जैसी है. अगर भारत के लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतित हैं और इससे बचना चाहते हैं तो उन्हें जल्द से जल्द वॉट्सऐप को अलविदा कह देना चाहिए.
अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप अंत में एक ऐसे सामान्य व्यक्ति की तरह बन जाएंगे जिसके पास कोई निजता नहीं रहेगी. ये प्लेटफॉर्म आपकी प्राइवेसी को चुरा रहा है जिसमें आपके ट्रांजैक्शन डिटेल्स भी शामिल हैं. ऐसे में इसका अंदाजा इसी बात से ही लगाया जा सकता है कि आप जो भी करेंगे वॉट्सऐप उसका रिकॉर्ड रखेगा और अंत में ये आपके लिए इतना ज्यादा खतरनाक हो जाएगा कि आपका बचना मुश्किल है.वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर मीडिया की टेक टीम ने एक्सपर्ट पवन दुग्गल से बात की, जानिए नए बदलावों को लेकर उन्होंने क्या राय दी…
सवाल- Whatsapp की नई पॉलिसी से भारतीय यूजर्स के लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती है?
जवाब– वॉट्सऐप अपनी मनमानी चला रहा है जहां इसने भारत के कई नियमों को भी तोड़ा है. अगर आप अभी नहीं संभले तो लॉन्ग टर्म ने इसका आपको भारी नुकसान हो सकता है क्योंकि डाटा आपके लिए बेहद जरूरी है और ये सीधे आपकी प्राइवेसी पर ही हमला कर रहा है. इसने एक तरह से हाथ खड़े कर दिए हैं और सीधा आपकी तरफ इशारा कर रहा है कि, ‘आप मेरे सामने नतमस्तक हो जाइए’ और बिना कुछ सोचे समझे मेरे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करिए. वॉट्सऐप को किसी भी यूजर की परवाह नहीं है, उसे बस अपने बिजनेस से मतलब है इसलिए वो ऐसा कर रहा है.
सवाल- Whatsapp आज के दौर में लोगों की अहम जरुरत बन चुकी है. ऐसे में अगर इसे मोबाइल से हटा देते हैं तो दूसरा क्या विकल्प है?
जवाब– हम वॉट्सऐप पर ही निर्भर हो गए हैं और हमें कुछ और नहीं दिख रहा. लगातार वॉट्सऐप का इस्तेमाल हमारे लिए अब खतरा बन चुका है. आप वॉट्सऐप नहीं चलाना चाहते तो आप टेलीग्राम या सिग्नल का इस्तेमाल करें, वो ज्यादा सुरक्षित है. वॉट्सऐप के साथ आपकी निजता एकदम शून्य हो चुकी है. लेकिन अगर आप इन ऐप्स की तरफ बढ़ते हैं और अभी से ही इनका इस्तेमाल करते हैं तो आप सुरक्षित हो सकते हैं, क्योंकि ये सभी ऐप्स आपकी प्राइवेसी का ध्यान रखते हैं और इनमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिससे आपको अपने डाटा और प्राइवेसी को लेकर कोई खतरा महसूस हो.
नोट: सिग्नल एक प्रसिद्ध प्राइवेसी केंद्रित मैसेजिंग ऐप है, जिसका व्यापक रूप से दुनियाभर के सुरक्षा विशेषज्ञों, प्राइवेसी शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और पत्रकारों द्वारा उपयोग किया जाता है. सिग्नल प्रोटोकॉल व्हाट्सएप के एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को भी रेखांकित करता है, हालांकि एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि सिग्नल ओपन सोर्स है, जबकि व्हाट्सएप नहीं है.
सवाल- बीते कुछ महीनों में सरकार ने चीनी एप्स पर एक्शन लिया है और अब Whatsapp की ऐसी पॉलिसी, ऐसे में सरकार को क्या एक्शन लेना चाहिए
जवाब– मुझे लगता है कि सरकार को इसके लिए मिलकर काम करना चाहिए और एक ऐप बनाना चाहिए. फिलहाल इसमें कमी दिख रही है. भारत सरकार को यहां वॉट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए और ऐसे नियम बनाने चाहिए जो आईटी एक्ट के अधीन हो क्योंकि वॉट्सऐप लगातार नियमों से खेल रहा है और अब इस प्लेटफॉर्म ने सीधे आपको नोटिफिकेशन भेज इस बात का संकेत दे दिया है कि या तो आप इसका इस्तेमाल इसके नियमों को मान कर करें या फिर इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना ही बंद कर दें.
सवाल- जो यूजर्स टेक्नोलॉजी फ्रेंडली नहीं हैं और इस मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को सिर्फ कम्युनिकेशन का एक जरिया समझते हैं, उनके लिए ये कितना खतरनाक है?
जवाब– ऐसे लोगों को हमें जागरुक करने की जरूरत है क्योंकि इनका सबसे ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि एक बार अगर आपकी प्राइवेसी चली गई तो वो दोबारा कभी वापस नहीं आएगी. वॉट्सऐप आपको साफ कह रहा है कि वो आपके क्रेडिट, डेबिट कार्ड के डिटेल्स शेयर करेगा तो यहां फिर आपकी प्राइवेसी कहां है. अंत में आप साइबरक्राइम के शिकार हो सकते हैं, आपके साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हो सकती है.
इसलिए अंतिम फैसला आपका है कि आपको इस मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का शिकार होना है या नहीं. क्योंकि साल 2016 से ही वॉट्सऐप आपका पर्सनल डाटा दूसरी कंपनियों के साथ शेयर करता आ रहा है लेकिन इसमें अब कंपनी ने ट्रांजैक्शन डिटेल्स को भी शामिल कर दिया है जो बेहद खतरनाक है. ऐसे में जबतक आप अपने फोन से पूरी तरह वॉट्सऐप को अनइंस्टाल नहीं करते हैं तब तक आपकी प्राइवेसी खतरे में है और आप अपना डाटा वॉट्सऐप के साथ लगातार शेयर कर रहे हैं.