कन्फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अमेरिकी लॉबी समूह यूएसआईबीसी की कड़ी आलोचना की है जिसने भारत के ई कॉमर्स में सरकार द्वारा लाए जाने वाले सम्भावित सुधारों पर आपत्ति जताई है जो नितांत अनावश्यक है. कैट ने कहा की यूएसबीआईसीं का अनपेक्षित हस्तक्षेप ये दर्शाता है कि क्योंकि अमेज़न और वॉलमार्ट इस लॉबी समूह का एक हिस्सा है और वे इस बात को समझ चुके है कि भारत के ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने और हावी होने का उनका भयावह खेल जल्द ही खत्म हो जाएगा, यही कारण है कि सरकार द्वारा एक नई प्रेस नोट और ई-कॉमर्स नीति लाने के लिए डीपीआईआईटी की पहल को अवरुद्ध करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं लेकिन यह भी तय है क़ी भारत के 8.5 करोड़ व्यापारियों की मजबूत शृंखलाएँ इन कंपनियों के मंसूबे सफल नहीं होने देगी तथा इस मुद्दे पर कैट सरकार के साथ मजबूती से खड़ी है.
कैट ने यूएसआईबीसी की अध्यक्ष निशा बिस्वाल को कड़े शब्दों में पत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि एमेजॉन, वॉलमार्ट और अन्य से जुड़े सही तथ्यों को जाने बिना उसका इस मुद्दे पर हस्तक्षेप अनुचित है जो भारत के 8.5 करोड़ व्यापारियों के हित के खिलाफ है. यह उल्लेखनीय है कि यूएसआईबीसीं ने भारत सरकार से ई-कॉमर्स नियमों को कड़ा न करने और ई-कॉमर्स निवेश नियमों में कोई अधिक सामग्री प्रतिबंधात्मक परिवर्तन नहीं करने का आग्रह किया है क्योंकि यह ई-कॉमर्स कंपनियों को उनके व्यापार के पैमाने को बड़ा करने के मौक़े से वंचित करेगा.
एमेजॉन को भी पाया गया दोषी
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि ऐसे समय में जब हाल के एक फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एफडीआई नीति और फेमा अधिनियम के उल्लंघन के लिए एमेजॉन को दोषी पाया है ऐसे में यूएसआईबीसी का हस्तक्षेप ये दर्शाता है कि एमेजॉन और वॉलमार्ट दोनों कंपनियां प्रेस नोट में प्रस्तावित बदलावों को रोकने का हर सम्भव प्रयास कर रही है.
नीति का उल्लंघन कर रही कंपनियां
सरकार कोई नया कानून या नीति नहीं ला रही है. प्रेस नोट में केवल यह स्पष्ट किया जाएगा क़ी नीति के अनुसार क्या करना और क्या नही करना चाहिए. कानून या किसी भी नीति के उल्लंघन करके किसी भी व्यवसाय को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. व्यवसाय में स्केलिंग या वृद्धि को नीति या कानून में परिभाषित दायरे और मापदंडों के भीतर होना चाहिए. जब सरकार नीति को केवल स्पष्ट कर रही है तो किसी भी इकाई को चिंतित नही होना चाहिए.
केवल अपने लाभ को देख रही कंपनियां
कैट के मुताबिक यूएसआईबीसीं को भारत में इन कंपनियों के कारोबार को एक निवेश के रूप में समझने में गलती हुई है. इन कंपनियों द्वारा जिस पूंजी का उपयोग किया जा रहा है, वह अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए है जिसका राजस्व के रूप में लाभ इन कंपनियों द्वारा उनके निजी लाभ के रूप में अर्जित किया जाता है. इसलिए ऐसी पूंजी को निवेश करार देना तथ्यात्मक रूप से गलत है. वे इस तथाकथित निवेश का उपयोग पूंजी को अपने अनैतिक व्यापार प्रथाओं का समर्थन करने के लिए कर रहे हैं और सरकार के विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) क़ानून तथा एफडीआई नीति का भी उल्लंघन कर रहे हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय के एक हालिया फैसले में, अदालत ने रिकॉर्ड लिया है कि एमेजॉन एफडीआई नीति और फेमा अधिनियम का उल्लंघन कर रहा है.