गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो ने बुधवार को कहा कि उनके और उनके परिवार के सात लोगों से जुड़े मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई ने न्याय पर उनके भरोसे को तोड़ दिया है. बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के दोषी सभी 11 लोगों को भाजपा नीत गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत सजा माफी दे दी जिसके बाद 15 अगस्त को उन्हें गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया.
सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए बिलकिस ने कहा कि ‘इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला’ लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और नाही उनके भले के बारे में सोचा. उन्होंने गुजरात सरकार से इस बदलने और उन्हें ‘‘बिना डर के शांति से जीने’ का अधिकार देने को कहा. बिलकिस बानो की ओर से उनकी वकील शोभा द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘‘दो दिन पहले 15 अगस्त, 2022 को जब मैंने सुना कि मेरे परिवार और मेरी जिन्दगी बर्बाद करने वाले, मुझसे मेरी तीन साल की बेटी को छीनने वाले 11 दोषियों को आजाद कर दिया गया है तो 20 साल पुराना भयावह अतीत मेरे सामने मुंह बाए खड़ा हो गया.’’
उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले को सुनकर उन्हें लकवा सा मार गया है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं अभी भी होश में नहीं हूं.’’ बिलकिस ने कहा कि आज वह सिर्फ इतना कह सकती है कि ‘‘किसी महिला के लिए न्याय ऐसे कैसे खत्म हो सकता है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने देश के उच्चतम न्यायालय पर भरोसा किया. मैंने तंत्र पर भरोसा किया और मैं धीरे-धीरे अपने भयावह अतीत के साथ जीना सीख रही थी. दोषियों की रिहाई से मेरी शांति भंग हो गई है और न्याय पर से मेरा भरोसा उठ गया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा दुख और मेरा खत्म हो रहा भरोसा, सिर्फ मेरी समस्या नहीं है, बल्कि अदालतों में न्याय के लिए लड़ रही सभी महिलाओं की बात है.’’ बिलकिस ने दोषियों की रिहाई के बाद राज्य सरकार से उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है.