केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बुधवार को कहा है कि वह सहमति से संबंध बनाने की आयु सीमा को 18 साल से 16 साल नहीं कर रही है. यह बात राज्यसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कही है. दरअसल केंद्र से राज्यसभा में एक सवाल किया गया था कि क्या वह सहमति से संबंध बनाने की उम्र को कम करने का विचार कर रहे हैं. इस पर केंद्रीय मंत्री ने जवाब देते हुए कहा है कि इसका सवाल ही नहीं उठता.
सरकार की यह टिप्पणी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि विधायिका को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो एक्ट) अधिनियम के तहत सहमति से संबंध बनाने की उम्र पर चर्चा करनी चाहिए. बता दें कि पॉक्सो एक्ट 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए ‘रोमांटिक’ रिश्तों में भी सहमति से यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणा में लाता है.
कानून में 18 से कम उम्र के बच्चों को संरक्षण
सीजेआई ने यह रीमार्क उस बैकड्रॉफ की वजह से दिया है जिसमें हाल में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें मांग की गई है कि ‘रोमांटिक रिलेशन्स’ को अपराध की श्रेणी में नहीं लाया जाना चाहिए. इस पर ईरानी ने रिस्पॉन्स दिया कि पॉक्सो एक्ट 2012 में बच्चों को सेक्सुअल अपराधों से बचाने के लिए लाया गया था. यह कानून 18 साल से कम के किसी भी बच्चे को संरक्षण देता है. उन्होंने कहा, ‘पॉक्सो एक्ट को 2019 में संशोधित किया गया था जिसमें इस कानून में सजा ए मौत जैसी कड़ी सजाओं का प्रावधान भी जोड़ा गया था. यह इसलिए किया गया था ताकि बच्चों पर होने वाले सेक्सुअल क्राइम को रोका जा सके.’
उन्होंने आगे कहा, ‘बच्चे द्वारा किए गए अपराध के मामले में, पॉक्सो अधिनियम के तहत धारा 34 पहले से ही बच्चे द्वारा अपराध किए जाने और विशेष न्यायालय द्वारा आयु के निर्धारण के मामले की प्रक्रिया प्रदान करती है.’ उन्होंने आगे कहा कि यदि विशेष अदालत के समक्ष किसी भी कार्यवाही में कोई प्रश्न उठता है कि कोई व्यक्ति बच्चा है या नहीं, ऐसे प्रश्न का निर्धारण विशेष न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्ति की आयु के बारे में स्वयं को संतुष्ट करने के बाद किया जाएगा और वह ऐसे निर्धारण के कारणों को लिखित रूप में दर्ज करेगा. उन्होंने कहा, ‘इसके अतिरिक्त, बहुमत अधिनियम, 1875, जिसे 1999 में संशोधित किया गया था, बहुमत प्राप्त करने के लिए 18 वर्ष की आयु प्रदान करता है.