राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने पश्चिम बंगाल की 87 जातियों को केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है. आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव और कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक को नोटिस जारी कर 3 नवंबर को सुबह 11 बजे आयोग के समक्ष सभी दस्तावेजों के साथ बुलाया है.
आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर तीन नवंबर को इस मामले की सुनवाई करेंगे. आयोग का कहना है कि हिंदू धर्म से अन्य धर्मों में परिवर्तित हुए समूहों की वंशावली पर दस्तावेज़ राज्य सरकार नहीं दे पाई है.
ममता सरकार पर लगा तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप
पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप है कि बांग्लादेश से आए मुसलमानों और रोहिंग्या को भी ओबीसी आरक्षण सूची में शामिल किया गया है. आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहिर ने बंगाल के दौरे के बाद कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा इतनी सारी मुस्लिम जातियों को ओबीसी का दर्जा देने के पीछे तुष्टिकरण की राजनीति है और आरक्षण योग्य लोगों के लिए होना चाहिए, न कि तुष्टिकरण की राजनीति के लिए.
उपलब्ध कराया जाए 87 ओबीसी का गजेटियर
नोटिस में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के ओबीसी की राज्य सूची में शामिल 87 ओबीसी का गजेटियर और वंशावली उपलब्ध कराया जाए. इसके अलावा ओबीसी की राज्य सूची में शामिल उस सभी ओबीसी का गजेटियर और वंशावली उपलब्ध कराया जाए जो पहले हिंदू थे और बाद में मुस्लिम बने हैं.
पश्चिम बंगाल की सूची में 179 ओबीसी जातियां
बता दें कि कि फरवरी 2023 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के कोलकाता में हुई समीक्षा बैठक में राज्य सरकार ने लिखित में बताया कि पश्चिम बंगाल राज्य की सूची में शामिल 179 ओबीसी जातियों में से 118 मुस्लिम ओबीसी जातियां एवं मात्र 61 हिन्दू ओबीसी जातियां हैं.