Wi-Fi, GPS, CCTV से लैस होगी दिल्ली की एप बेस्ड प्रीमियम बस सेवा, प्रदूषण भी होगा कम- केजरीवाल

विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस लग्जरी बसों में सफर करने का सपना देख रहे दिल्ली वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के लंबे प्रयासों के बाद राजधानी में एप बेस्ड प्रीमियम बस सेवा शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है. शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने प्रीमियम बस एग्रीगेटर स्कीम 2023 को अपनी मंजूरी दे दी. इस दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि प्रीमियम बस सेवा शुरू होने से सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ेगा और इससे प्रदूषण में भी कमी आएगी.

उन्होंने कहा कि ये बसें पूरी तरह से एयरकंडीशंड होने के साथ-साथ वाई-फाई, जीपीएस और सीसीटीवी की सुविधा से लैस होंगी. इसमें सफर करना बहुत ही आरामदायक होगा. प्रीमियम बसों के लिए एग्रीगेटर स्कीम लाने वाला दिल्ली देश का पहला राज्य बन गया है.उन्होंने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करने के मकसद से प्रीमियम बस एग्रीगेटर्स स्कीम लाने की कोशिश की जा रही थी. आखिरकार 8 साल के बाद स्कीम का रास्ता साफ हो गया है.

मिडिल, अपर मिडिल क्लास के लिए आई स्कीम
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में जब मेट्रो आई थी, तब बहुत सारे मिडिल और अपर मिडिल क्लास के लोगों ने अपनी गाड़ियां छोड़कर मेट्रो से सफर करना शुरू कर दिया था. लेकिन जब मेट्रो में भी भीड़ बढ़ने लगी तो लोग फिर से निजी गाड़ियां निकाल लीं. ऐसे में दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ती गईं. अब बसों में बहुत ज्यादा भीड़ नहीं होती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्सर यह देखने में आता है कि बसों में ज्यादातर लोअर मिडिल क्लास के लोग यात्रा करते हैं. ऐसे में यह स्कीम मिडिल और अपर मिडिल क्लास को अपने निजी वाहनों छोड़कर बसों में सफर करने के लिए है. इसके तहत प्रीमियम बसों के एग्रीगेटर्स को लाइसेंस दिए जाएंगे. एक लाइसेंस होल्डर कम से कम 25 लग्जरी बसें लेकर आएगा, जो दिल्ली की सड़कों पर चलेंगी.

इन लग्जरी बसों का समय निर्धारित होगा
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इन बसों में खड़े होकर सफर करने की अनुमति नहीं होगी. हर एक को सीट मिलेगी. इन बसों में सीट डिजिटली बुक होगी. एप पर जाकर कोई भी इन बसों में अपने लिए सीट बुक कर सकेगा. किराए का भुगतान केवल डिजिटल माध्यम से ही होगा. बस के अंदर टिकट नहीं मिलेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस के चलने और गंतव्य तक पहुंचने का एक निश्चित समय होगा. हमें उम्मीद है कि इस स्कीम को शुरू होने के बाद बहुत सारे लोग अपने निजी वाहनों को छोड़कर इन लग्जरी बसों से सफर करेंगे. इससे दिल्ली की ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा.

इलेक्ट्रिक बसों पर लाइसेंस फीस नहीं ली जाएगी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि इस स्कीम के तहत चलने वाली सीएनजी बसें तीन साल से अधिक पुरानी नहीं होगी. एक जनवरी 2025 के बाद जो नई बसें इस स्कीम में शामिल की जाएंगी, वो केवल इलेक्ट्रिक बसें होंगी. लाइसेंस लेने वाले एग्रीगेटर्स के बेड़े में कम से कम 25 बसें होनी आवश्यक है. इस स्कीम में शामिल होने वाली इलेक्ट्रिक बसों पर लाइसेंस फीस नहीं ली जाएगी. इससे इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा मिलेगा और अधिक से अधिक ई-बसें आ सकेंगी.

उन्होंने कहा कि इन बसों का रूट दिल्ली सरकार तय नहीं करेगी. ऑपरेटर खुद तय करेंगे. इससे ट्रैफिक कम होगा. हाला्ंकि रूट तय करने के बाद बस ऑपरेटर के लिए दिल्ली सरकार को सूचित करना अनिवार्य होगा. इन बसों का किराया भी बस ऑपरेटर ही तय करेंगे. लेकिन एक शर्त ये होगी कि दिल्ली सरकार के डीटीसी और एसी बसों का जो सबसे ज्यादा किराया है, उससे कम नहीं होना चाहिए.

2016 में ही प्रीमियम बस लाने का सिलसिला
मुख्यमंत्री ने इस दौरान प्रीमियम बस एग्रीगेटर स्कीम लाने का अब तक के संघर्ष का अनुभव भी सुनाया. उन्होंने बताया कि 2016 में ही प्रीमियम बस सेवा शुरू करने का सिलसिला चालू हुआ था. मई 2016 में दिल्ली सरकार ने प्रीमियम बस स्कीम को लाने का अप्रूवल दिया. लेकिन तत्कालीन एलजी नजीब जंग ने मंजूरी नहीं दी. इसके बाद जून 2016 में बीजेपी के बिजेंद्र गुप्ता ने एंटी करप्शन ब्रांच में भ्रष्टाचार की शिकायत की जबकि स्कीम अभी भी नहीं थी. इसके बाद हुई जांच में कुछ नहीं निकला.

एलजी साहब जल्द मंजूरी की उम्मीद
सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि 2017 से 2019 के बीच में ट्रांसपोर्ट विभाग ने आपत्ति लगाई कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ये स्कीम नहीं लाई जा सकती. लेकिन अगस्त 2019 में भारत सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया और उस संशोधन के तहत बस एग्रीगेटर्स स्कीम लाई जा सकती थी. कोरोना के बाद 2022 में दोबारा ड्रॉफ्ट किया. एलजी साहब से स्कीम का ड्रॉफ्ट मंजूर होकर आया. एलजी साहब की मंजूर की गई स्कीम में मामूली बदलाव थे. इन बदलावों को शामिल करते हुए मैंने इस स्कीम को आज अपनी मंजूरी दे दी. अब इसे एलजी साहब के पास भेजा जा रहा ह. मुझे उम्मीद है कि एलजी साहब जल्द ही इसे मंजूरी दे देंगे.

प्रीमियम बस स्कीम 2023 की खास बातें : –
प्रीमियम बस का मतलब है एक लक्जरी सार्वजनिक बस, जिसमें कम से कम 9 यात्रियों की बैठने की क्षमता हो और पूरी तरह वातानुकूलित हो. इसमें रिक्लाइनिंग सीटों के साथ- साथ वाई-फाई, जीपीएस और सीसीटीवी की सुविधा होगी. ये प्रीमियम बसें सार्वजनिक परिवहन के तहत अधिक सुविधा, विश्वसनीयता और आराम प्रदान करेंगी. बसें सड़क पर वाहनों को कम करने में अहम भूमिका निभाएंगी.

लाइसेंस प्राप्त करने की क्या है पात्रता
1 – संचालन की निम्नलिखित के साथ-साथ सार्वजनिक/साझा परिवहन में वाहनों के संचालन व प्रबंधन का न्यूनतम 3 वर्ष का अनुभव होना चाहिए.

ए- प्रत्येक वर्ष न्यूनतम 100 यात्री बसों का बेड़ा या बी- प्रत्येक वर्ष न्यूनतम 1000 यात्री कारों का बेड़ा सी- यात्री कारों और बसों का मिश्रित बेड़ा हो, जिसमें 100 बसों का न्यूनतम बेड़ा जहां 10 कारें 1 बस के बराबर हैं.

2- कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बसों के मामले में यात्री वाहन के इस्तेमाल के संबंध में सभी लागू शर्तों का पालन करना होगा.

ए- सीएनजी होने पर बसें 3 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए बी- 1 जनवरी 2025 के बाद शामिल होने वाली नई बसें केवल इलेक्ट्रिक होंगी सी- एनसीआर के भीतर कॉर्पाेरेट/शाखा कार्यालय होना चाहिए

शुल्क और इटरेस्ट फ्री सिक्योरिटी डिपोसिट

(1) लाइसेंस की मंजूरी के लिए एप्लीकेशन के साथ निम्नलिखित शुल्क और इटरेस्ट फ्री सिक्योरिटी डिपोसिट भी देना होगा.

लाइसेंस के लिए जमा कराए जाने वाले शुल्क
1.लाइसेंस की मंजूरी के लिए पांच लाख रुपये की राशि देनी होगी 2.लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए 2500 रुपए देने होंगे 3.डुप्लीकेट लाइसेंस जारी करने के लिए 2500 रुपए देने होंगे 4.लाइसेंसधारी को अपना पता बदलने के लिए 2500 रुपए देने होंगे

लाइसेंस के लिए सिक्योरिटी डिपोजिट

  1. सौ प्रीमियम बसों के लिए एक लाख रुपये का सिक्योरिटी डिपोजिट करना होगा 2. एक हजार प्रीमियम बसों के लिए सिक्योरिटी डिपोजिट 2.5 लाख रुपए होगा 3. एक हजार से ज्यादा प्रीमियम बसों के लिए पांच लाख का सिक्योरिटी डिपोजिट करना होगा

4- स्वच्छ परिवहन के विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक बसों पर कोई लाइसेंस शुल्क नहीं लगाया जाएगा 5- दिल्ली ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट द्वारा समय-समय पर बताए जाने पर बस क्यू शेल्टर्स के इस्तेमाल के लिए एडिशनल स्टैंड शुल्क का देना होगा

किराया और टिकट जानिए
(1) लाइसेंस धारक किसी भी रूट/डेस्टीनेशन के लिए उचित फेयर स्ट्रक्चर तय करने के लिए स्वतंत्र होगा. आम जनता की जानकारी के लिए किराया मोबाइल और वेब-बेस्ड एप्लिकेशन पर उप्लब्ध होगा. (2) दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की एसी बसों के टिकट के दामों में बदलाव की पूरी गुंजाइश होगी, लेकिन इसकी बेसिक कीमत अधिकतम किराए से कम नहीं होगी (3) केवल पहले से बुक किए गए डिजिटल टिकट की अनुमति होगी. बस के अंदर टिकट जारी नहीं किया जाएगा. (4) यात्रियों से पेमेंट इलेक्ट्रॉनिक/डिजिटल मोड से ही लिया जाएगा.

बस क्यू शेल्टर्स
(1) इस योजना में शामिल बसों को चिंहित बस क्यू शेल्टर्स से यात्रियों को लेने और छोड़ने की अनुमति है. जिसके लिए उन्हें दिल्ली परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम लिमिटेड को समय-समय पर अलग से शुल्क देना होगा.

इसके अलावा प्रीमियम बसों को नोटिफाइड बस स्टॉप्स के साथ-साथ अन्य जगहों से भी यात्रियों को ले जाने और छोड़ने की अनुमति है, लेकिन इसके लिए इस योजना में अथॉरिटी से पहले अनुमति लेना जरूरी है. इस मामले में जुड़े सभी मुद्दों के लिए परिवहन विभाग द्वारा जारी की गई एनओसी के बावजूद भी इंचार्ज अथॉरिटी का आदेश ही मान्य होगा.

ब्रांडिंग और विज्ञापन
(1) लाइसेंस धारक को प्रीमियम बस के अंदर और बाहर ब्रांडिंग करने और विज्ञापन स्थान बेचने का अधिकार होगा, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे-

(ए) प्रीमियम बस के बाहरी हिस्से के आगे और पीछे का इस्तेमाल ब्रांडिंग और विज्ञापन के लिए नहीं किया जाएगा. क्योंकि वह जगह दिल्ली प्रीमियम बस सेवा की पहचान आसानी से हो सके, इसके लिए परिवहन विभाग द्वारा लगाए गए वह लोगो/पैटर्न डिसप्ले के लिए पहले से आरक्षित है. (बी) प्रीमियम बस के बाहर बाएं और दाएं हिस्से को सिविक एजेंसियों द्वारा बताए गए संबंधित नियमों के तहत ही विज्ञापन और ब्रांडिंग के लिए अनुमति दी जाएगी। साथ ही इसपर लागू होने वाला जीएसटी शुल्क देना भी जरूरी है. (सी) इसके साथ ही विज्ञापन के आकार और इसकी प्रकृति के बारे में इंचार्ज अथॉरिटी से पहले से अनुमति लेना जरूरी है. (2) मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुसार किसी भी परिस्थिति में लाइसेंस धारक द्वारा इसे सरकारी घोषित नहीं किया जाएगा.

लाइसेंस का निलंबन एवं रद्द होना
(1) लाइसेंस धारक को सुनवाई का मौका देने के बाद इंचार्ज अथॉरिटी लाइसेंस को 6 महीने से कम समय के लिए रद्द या निलंबित कर सकता है, यदि उसे लगता है कि-

(ए) मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत अगर लाइसेंस धारक से जुड़ी किसी भी प्रीमियम बस में कोई डिफॉल्ट या कानूनी रूप से चूक पाई जाती है. (बी) कोई भी प्रीमियम बस लेन ड्राइविंग नियमों का उल्लंघन करते हुए पाई जाती है. जैसे कि तेज़ गति और लापरवाही से गाड़ी चलाना. (सी) यदि लाइसेंस धारक मोटर व्हीकल एक्ट 1988 और उसके तहत बनाए गए नियम, इस योजना में बताए गए या निर्धारित दायित्वों को पूरा करने में विफल रहता है. (डी) कोई भी प्रीमियम बस चालक महिलाओं/विकलांगों/वरिष्ठों नागरिकों या अन्य यात्री के साथ किसी भी दुर्व्यवहार का दोषी पाया जाता है. (ई) किसी भी प्रीमियम बस चालक का नशे और नशीली दवाओं के प्रभाव में चालान पाया जाता है.

उक्त शर्तों के अलावा मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अध्याय 13 के प्रावधान , दिल्ली मोटर व्हीकल नियम 1993 के कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इस पर कार्रवाई शुरू करने के लिए लागू रहेंगे.

(2) कोई परमिट रद्द या निलंबित करने की किसी स्थिति में इंचार्ज अथॉरिटी के पास यह अधिकार होता है कि पह परमिट को रद्द करने या निलंबित करने की जगह लाइसेंस धारक से सिक्योरिटी डिपोजिट के आधे के बराबर राशि वसूल कर सकता है। यह धारा 5(बी) में बताए गए लाइसेंस धारक द्वारा सिक्योरिटी मनी डिपोजिट करके लगाई गई प्रीमियम बसों की संख्या से अगल है.

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